Khabarwala 24 News New Delhi : ISRO Mission Chandrayaan 5 केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को हरी झंडी दे दी है। इस मिशन के साथ भारत के अंतरिक्ष मिशन में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ने जा रही है। इसरो प्रमुख वी नारायणन ने घोषणा की है कि 250 किलो का रोवर चांद की सतह पर भेजा जाएगा, जो वहां के वातावरण और सतह का गहन अध्ययन करेगा। खास बात यह है कि इस मिशन में भारत अकेला नहीं होगा, बल्कि जापान के साथ मिलकर इसे अंजाम देगा। इसरो अब तक तीन सफल चंद्रयान मिशन को पूरा कर चुका है। इन मिशनों की सफलता ने इसरो को चंद्रयान-5 और भविष्य के मिशनों के लिए ठोस आधार दिया है।
ज्यादा उन्नत रिसर्च संभव हो सकेगी (ISRO Mission Chandrayaan 5)
इससे पहले चंद्रयान-3 मिशन में कम वजनी रोवर प्रज्ञान चांद पर भेजा गया था, लेकिन इस बार इससे दस गुना भारी रोवर भेजा जाएगा, जिससे ज्यादा उन्नत रिसर्च संभव हो सकेगी। इस मिशन से चंद्रमा पर भारत की मौजूदगी और भी मजबूत होगी। चंद्रयान-3 मिशन में 25 किलो के रोवर प्रज्ञान को चांद पर भेजा गया था, वहीं अब चंद्रयान-5 मिशन में सीधा दस गुना ज्यादा वजनी 250 किलो के रोवर को चांद की सतह पर लैंड कराया जाएगा।
इसरो के चंद्रयान मिशन की सफलता (ISRO Mission Chandrayaan 5)
चंद्रयान-1 (2008) ने चांद की सतह पर खनिजों और रसायनों की खोज की थी। चंद्रयान-2 (2019) ने अपने लगभग 98% लक्ष्यों को पूरा किया, हालांकि लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग सफल नहीं हो पाई थी। इसके बावजूद इसका हाई-रिजोल्यूशन कैमरा अभी भी चांद की तस्वीरें भेज रहा है। चंद्रयान-3 (2023) ने चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की और वहां की मिट्टी व पर्यावरण का अध्ययन किया। चंद्रयान-5 के साथ इसरो एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर बढ़ रहा है।
चंद्रयान-5 : जापान के साथ साझेदारी (ISRO Mission Chandrayaan 5)
इसरो प्रमुख ने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन को हाल ही में मंजूरी मिली है और इसे जापान के सहयोग से किया जाएगा। इससे पहले चंद्रयान-4 मिशन 2027 में लॉन्च होने की संभावना है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा से नमूने लाना होगा। इसरो की अन्य योजनाओं में गगनयान मिशन और भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाना शामिल है। हाल ही में इसरो ने स्पैडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) का सफल परीक्षण किया, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए अहम साबित होगा।