Friday, December 27, 2024

ISRO Pushpak aircraft Launch : 21वीं सदी का पुष्पक विमान लॉन्च, कर्नाटक के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से भरी उड़ान, पढ़ें क्या है खासियत

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Khabarwala 24 News New Delhi : ISRO Pushpak aircraft Launch त्रेता युग के बाद अब 21वीं सदी में पुष्पक विमान की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है। दरअसल, इसरो ने आज पुष्पक विमान (आरएलवी-टीडी) की सफल लॉन्चिंग की है। लॉन्चिंंग के बाद विमान ने सफल लैंडिंग भी की। इसरो ने आज सुबह 7 बजे कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में आयोजित इस परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया। आरएलवी लेक्स-02 लैंडिंग प्रयोग के माध्यम से लॉन्च कर, री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

किफायती और टिकाऊ (ISRO Pushpak aircraft Launch)

मिली जानकारी के अनुसार, पुष्पक विमान का प्रक्षेपण अंतरिक्ष पहुंच को अधिक किफायती और टिकाऊ बनाने की दिशा में भारत का साहसिक प्रयास है। आज इस विमान का ज्यादा जटिल परिस्थितियों में रोबोटिक लैंडिंग क्षमता का परीक्षण किया गया। ये अंतरिक्ष तक पहुंच को किफायती बनाने में काफी कारगर साबित हो सकता है। यह बाद में अंतरिक्ष में किसी सैटेलाइट में इंधन भरने या किसी सैटेलाइट को ठीक करने के लिए वापस लाने में भी मदद करेगा।

ये है इसकी खासियत (ISRO Pushpak aircraft Launch)

पुष्पक एक री-यूजेबल लॉन्चिंग विमान है। यह पंखो वाला हवाई जहाज जैसा दिखने वाला विमान है। 6.5 मीटर की लंबाई वाले इस विमान का वजन 1.75 टन है। ये रियूजेबल लॉन्चिंग व्हीकल है, जिसका ऊपरी हिस्सा सबसे महंगे उपकरणों से लैस होता है। इसे धरती पर वापस लाकर रियूजेबल बनाया जाता है, जिससे ये किफायती साबित होता है। सबसे बड़ी खासियत इसकी यह है कि ये अंतरिक्ष में मलबे को कम करेगा।

विमान की बनावट (ISRO Pushpak aircraft Launch)

इसरो के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पुष्पक आरएलवी को पूरी तरह से प्रयोज्य सिंगल-स्टेज-टू-ऑर्बिट (एसएसटीओ) विमान के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जिसमें एक्स-33 उन्नत प्रौद्योगिकी प्रदर्शक, एक्स-34 परीक्षण प्रौद्योगिकी प्रदर्शक और उन्नत जैसे कई प्रमुख तत्व शामिल हैं। जो कि, जटिल परिस्थितियों में अपनी रोबोटिक लैंडिंग क्षमताओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से परीक्षणों की एक श्रृंखला के बाद, यह लॉन्च पुष्पक की तीसरी उड़ान है।

खास मील का पत्थर (ISRO Pushpak aircraft Launch)

यह परियोजना, जो एक दशक से अधिक समय से विकास में है, ने पहले पिछले साल अप्रैल में एक सफल परीक्षण देखा था, जहां वाहन ने भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से छोड़े जाने के बाद एक स्वायत्त लैंडिंग का प्रदर्शन किया था। यह पुष्पक एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिससे यह कक्षीय पुनः प्रवेश क्षमताओं को प्राप्त करने के करीब पहुंच गया। रामायण के पौराणिक ‘पुष्पक विमान’ के नाम पर रखा, इसरो का आधुनिक विमान समृद्धि और नवीनता का प्रतीक है।

महत्वाकांक्षी लक्ष्य (ISRO Pushpak aircraft Launch)

मिली जानकारी के अनुसार, इस विमान में 100 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ, यह परियोजना न केवल भारत की तकनीकी शक्ति को प्रदर्शित करती है। बल्कि भविष्य के प्रयासों के लिए भी मंच तैयार करती है, जिसमें 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी शामिल है। बता दें कि, पिछले महीने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को सोमनाथ ने वाहन के विकास के बारे में जानकारी दी थी।

2012 से हो रही तैयारी (ISRO Pushpak aircraft Launch)

इसके साथ ही बता दें कि, जनवरी 2012 में, इसरो के आरएलवी अंतरिक्ष यान के डिजाइन को राष्ट्रीय समीक्षा समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। मंजूरी मिलने के बाद, पहला प्रोटोटाइप बनाया गया और उसे आरएलवी-टीडी (टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर) नाम दिया गया। राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा वायुमंडलीय पुन: प्रवेश के दौरान अंतरिक्ष यान को उच्च तापमान से बचाने के लिए उन्नत सुपर कंप्यूटर सिमुलेशन और गर्मी प्रतिरोधी सामग्री के विकास के साथ, आरएलवी 2016 में अपनी पहली उड़ान के लिए गया था।

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