Khabarwala 24 News New Delhi : Kalash Sthapana Precaution दुर्गा पूजा उत्सव नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रहा है, इसकी शुरुआत कलश स्थापना से होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार घटस्थापना या कलश स्थापना मां दुर्गा के 9 दिवसीय पूजा उत्सव के आरंभ का प्रतीक है। शास्त्रों में नवरात्रि के आरंभ में घटस्थापना और कलश स्थापना के स्पष्ट नियम बनाए हैं, क्योंकि यह देवी शक्ति का आह्वान है, इसलिए घटस्थापना/कलश स्थापना में भूलकर भी ये गलतियां नहीं करनी चाहिए वर्ना मां दुर्गा प्रसन्न होने की जगह नाराज हो सकती हैं। आइये जानते हैं चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना नियम 2024…
अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना (Kalash Sthapana Precaution)
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का पहला एक तिहाई भाग सर्वाधिक शुभ समय माना जाता है। इसलिए कलश स्थापना इस समय ही कर लेनी चाहिए। यदि किसी कारणवश पहले एक तिहाई भाग में कलश स्थापना न हो सके तो अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना को पूरा कर लेना चाहिए। नवरात्रि घटस्थापना चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में टालना चाहिए। मध्याह्न से पूर्व प्रतिपदा के समय घटस्थापना पूजा कर लेनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के बाद सोलह घटी के भीतर कलश स्थापना हो जानी चाहिए। मध्याह्नकाल के बाद, रात्रिकाल में कलश स्थापना किसी भी सूरत में न करें।
घट और कलश स्थापना में फर्क (Kalash Sthapana Precaution)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार घट स्थापना और कलश स्थापना में अंतर होता है। कलश तांबे का होता है और घट मिट्टी का होता है। घट अर्थात मिट्टी का घड़ा लें और नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं फिर उस पर घट स्थापित करें। घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। घट के गर्दन में मौली बांधे। घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें, फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें, एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। पात्र को मिट्टी से भर दें, अब इसे स्थापित करके पूजा करें।
घट स्थापना में न करें ये गलतियां (Kalash Sthapana Precaution)
घट में गंदी मिट्टी और गंदे पानी का प्रयोग न करें। घट को एक बार स्थापित करने के बाद उसे 9 दिनों तक हिलाएं नहीं। गलत दिशा में घट स्थापित न करें, जहां घट स्थापित कर रहे हैं, वह स्थान और आसपास का स्थान स्वच्छ होना चाहिए। शौचालय या बाथरूम के आसपास घट स्थापित नहीं होना चाहिए, घट को अपवित्र हाथों से नहीं छूना चाहिए। घट स्थापित करने के बाद घर को सूना नहीं छोड़ना चाहिए। घट की नियमित रूप से पूजा अर्चना करते हैं। घट किसी भी रूप में खंडित नहीं होना चाहिए। नवरात्रि के बाद घट के जवारों को विधिवत नदी में प्रवाहित करें।
जानें कलश की स्थापना की विधि (Kalash Sthapana Precaution)
तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर मौली बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट पर रखें। अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में मौली बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें। अब कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि कलश के आसपास रखें। इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें। कलश को शुद्ध हाथ और स्नान करने के बाद ही छुएं। इसके अलावा घटस्थापना की सावधानयों का भी पालन करें और उसके लिए होने वाली गलतियों का भी ध्यान दें।
कलश स्थापना का विधिवत मंत्र (Kalash Sthapana Precaution)
ऊं धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा। दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि।।
ऊँ आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।
ऊं वरुणस्योत्तम्भनमसि वरुणस्य स्काभसर्जनी स्थो वरुणस्य ऋतसदन्यसि वरुणस्य ऋतसदनमसि वरुणस्य ऋतसदनमा सीद।।
ऊं भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण।
ऊं अपां पतये वरुणाय नमः’