Khabarwala 24 News New Delhi : Kanak Bhawan कनक भवन अयोध्या के सबसे खूबसूरत मंदिरों में माना जाता है। अयोध्या में यूं तो अनेक पुराने भवन और मंदिर है पर एक भवन बरबस ही लोगों का ध्यान खींच लेता है। यह मंदिर इतना खूबसूरत दिखता है कि नजर हटाए नहीं हटती।
रामायणकालीन कनक भवन जब जीर्णशीर्ण हो गया था तब एमपी के टीकमगढ़ की रानी वृषभानु कुंअर ने इसका दोबारा निर्माण कराया था। पौराणिक ग्रंथों में जहां कनक भवन का उल्लेख मिलता है वहीं ऐतिहासिक दस्तावेजों में ओरछा की रानी वृषभानु द्वारा इसका जीर्णाेद्धार कराए जाने की बात दर्ज है। इतिहासकार बताते हैं कि यह भवन त्रेताकाल में ही बनाया गया था हालांकि 19वीं सदी में इसका जीर्णाेद्धार कराया गया था। यह भी कहा जाता है कि वनवास पर जाने के पहले श्रीराम और माता सीता इसी भवन में रहते थे।
सोने से निर्मित होने के कारण कनक भवन (Kanak Bhawan)
रामायण और रामचरित मानस में इस बात का वर्णन किया गया है कि स्वयंवर में विवाह के बाद श्रीराम और सीता कई दिनों तक जनकपुरी में ही रहे। इसके बाद जब वे अयोध्या आए तो राजा दशरथ ने उनके निवास के लिए एक खूबसूरत भवन बनवाया। यह भवन सोने का था और इसमें रत्न भी लगे थे। सोने से निर्मित होने के कारण इस भवन को कनक भवन का नाम दिया गया।
राम और माता सीता का निजी महल था (Kanak Bhawan)
पहली बार अयोध्या आई सीताजी को महारानी कौशल्या ने मुंहदिखाई की रस्म में यह भव्य और खूबसूरत भवन भेंट किया था। कनक भवन अयोध्या का सबसे सुंदर भवन था। विवाह के पश्चात कनक भवन राम और सीता का निजी महल था। वनवास जाने के पहले श्रीराम और सीता माता इसी भवन में रहते थे। कनक भवन के निर्माण की कहानी भी अनूठी हैे।
भवन मुंह दिखाई में भेेंट किया कैकेयी ने (Kanak Bhawan)
बताया जाता है कि कैकेयी को सपने में यह भवन दिखाई दिया था, उन्हें दिखी छवि के आधार पर दशरथ ने कनक भवन का निर्माण कराया था। राजा दशरथ ने शिल्पी विश्वकर्मा से सोने का यह सुंदर भवन बनवाया। सीताजी जब विवाह के बाद पहली बार अयोध्या आई तो कैकेयी ने उन्हें रत्नों से जड़ा हुआ सोने का भवन मुंह दिखाई में भेेंट कर दिया।
विचार सपने में दर्शन के माध्यम से आया (Kanak Bhawan)
पौराणिक ग्रंथों में भी इस बात का उल्लेख है कि कैकेयी को कनक भवन बनाने का विचार सपने में दर्शन के माध्यम से आया। राजा दशरथ श्रीराम और सीता के लिए अयोध्या में सुंदर भवन बनवाना चाहते थे। उसी दौरान कैकेयी को सपने में कनक भवन दिखा जिसके बारे में उन्होंने राजा दशरथ से चर्चा की। तब दशरथ ने तुरंत श्रीराम और सीता के लिए यह भवन बनवाया।
19वीं सदी में दोबारा निर्माण कराया गया (Kanak Bhawan)
त्रेतायुग का कनक भवन जब जीर्णशीर्ण हो गया तो इसका 19वीं सदी में दोबारा निर्माण कराया गया। टीकमगढ़ के राजा प्रताप सिंह जूदेव की पत्नी रानी वृषभानु ओरछा के इंजीनियर व कारीगरों को अयोध्या ले जाकर कनक भवन को दोबारा बनवाया था। सन 1891 में नए कनक भवन में विधि विधान से राम की मूर्ति स्थापित कर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कराई गई थी।