Kartik Purnima Ganga mela Khabarwala 24 News Garhmukteshwar(Hapur):गंगा के तट पर प्राचीन कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले मेले में भैंसा दौड़ कराने वालों की अब खैर नहीं होगी। एेसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी प्ररेणा शर्मा ने भैंसा दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया है। डीएम ने पुलिस, पशु चिकित्साधिकारी और सभी एसडीएम को कड़ाई से इस आदेश का पालन कराने के निर्देश दिए हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर गढ़मुक्तेश्वर में एतिहासिक गंगा मेला लगता है। देश के विभिन्न राज्यों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां भाग लेने के लिए आते हैं। गढ़ मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भैंसा बुग्गी में सवार होकर आते हैं। भैंसों को ग्रामीण कई माह पहले ही खानपान बेहतर करके मेले के लिए तैयार करते हैं, ताकि रास्ते में भैंसा आसानी से सफर तय कर सकें। खादर मेले में और रास्ते में गांव के ही लोग आपस में भैंसा दौड़ की शर्त लगा लेते हैं, जिसमें कई बार हादसा भी हो जाता है। न्यायालय ने भी भैंसा दौड़ पर प्रतिबंध लगा रखा है।
दुर्घटनाओं का बढ़ जाता है खतरा
गंगा मेले के दौरान जहां श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं, वहीं बड़ी संख्या में दौड़ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। इसमें भैंसा बुग्गी दौड़ प्रमुख है। बड़ी संख्या में ग्रामीण इसमें हिस्सा लेेते हैं। बाइक सवारों का रैला भी इस दौड़ के साथ चलता है और खूब हुड़दंग भी होता है। सड़क पर दौड़ के कारण दुर्घटनाओं का खतरा भी बना रहता है। पिछले सालों में ऐसी प्रतियोगिताएं भी खूब हुई और इस दौरान दुर्घटनाएं भी हुई। हालांकि पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने ऐसे मामलों में कार्रवाई भी की।
सख्ताई से हो आदेशों का पालन
अब जिलाधिकारी प्रेरणा शर्मा ने कार्तिक पूर्णिमा में आने वाले भैंसा-बुग्गी पर रोक लगा दी है। इसके लिए उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ साथ उप जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसका सख्ताई से पालन करने का निर्देश दिया गया है।
मेले को सफल बनाने में जुटे अफसर
गंगानगरी तीर्थनगरी गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले कार्तिक मेले की अपनी अलग ही पहचान है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह सबसे बड़ा मेला होता है, जो करीब छह किलोमीटर से भी ज्यादा क्षेत्रफल में लगता है। इस मेले में उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। आपको बता दें कि गढ़मुक्तेश्वर में लगने वाले इस मेले की शुरूआत दीपावली होने के बाद से ही हो जाती है। मेले की तैयारियों को लेकर अधिकारियों ने अपनी रणनीति अभी से बनानी शुरू कर दी है।
पांड़वों का राजपाठ से हो गया था मोहभंग
बताया जाता है कि गढ़ गंगा में लगने वाले इस कार्तिक मेले की मान्यता है कि महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए वीर योद्धाओं के शवों को देखकर पांड़वों का मन व्याकुल हो उठा था। पांड़वों में राजपाठ से मोहभंग की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। जिस पर भगवान श्रीकृष्ण को चिंता हुई, तो वह कार्तिक माह में पांड़वों को अपने साथ लेकर गढ़ खादर में आए। यहां उन्होंने कई दिन तक पड़ाव डालकर गंगा स्नान सहित पांड़वों से धार्मिक अनुष्ठान कराए। पांडवों को शोक से निकालने के लिए श्रीकृष्ण ने यहां मृत आत्माओं की शांति के लिए यज्ञ और दीपदान किया, तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन गढ़मुक्तेश्वर में स्नान और दीपदान की परंपरा शुरू हो गई।