Khabarwala 24 News Hapur: Kavya Sandhya अयोध्या में श्री राम जी के मंदिर के शुभारम्भ के शुभ अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य संघ के तत्वावधान में गान्धर्व संगीत महाविद्यालय में काव्य सन्ध्या और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय संरक्षक वरिष्ठ कवि गुनवीर राणा ने की और संचालन संस्था के राष्ट्रीय महामंत्री कवि डॉ सतीश वर्द्धन ने किया।
कवियों का किया स्वागत (Kavya Sandhya)
काव्य सन्ध्या में अतिथि के रूप में राष्ट्रीय संरक्षक महाकवि देवेंद्र देव मिर्जापुरी , देश के प्रसिद्ध व प्रतिष्ठित कवि डॉ आलोक बेजान , और सुविख्यात कवि राजीव सिंघल रहे। कवयित्री डॉ तारा गुप्ता , कवि राज चैतन्य, कवि रामवीर आकाश ने सभी कवियों ,कवयित्रियों और साहित्यकारों का फूलमाला और पटका पहना कर व तिलक लगा कर स्वागत किया। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुविख्यात कवि डॉ अनिल बाजपेयी ने संस्था के उद्देश्यों और कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था देश मे साहित्य के क्षेत्र में अपनी बड़ी भूमिका निभाने जा रही है।संस्था कवियों और साहित्यकारों को देश मे बड़े मंच प्रदान करेगी । संस्था कॉलिज व विश्व विद्यालयो में वाद विवाद प्रतियोगिता व कविता प्रतियोगिता आयोजित करेगी। जिससे साहित्य के क्ष्रेत्र में नई नई प्रतिभाएं निखर कर सामने आएंगी।
इन्हें किया सम्मानित
कवयित्री सोनम यादव ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गान्धर्व संगीत महाविद्यालय की संगीत की विद्यार्थी उर्वशी ने राम जी के भजन पर सुंदर नृत्य प्रस्तुति देकर सभी का मन मोह लिया। आयोजन में साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए कवि गुनवीर राणा को साहित्य शिरोमणि और कवि रामवीर आकाश व कवयित्री डॉ तारा गुप्ता को साहित्यश्री सम्मान से सम्मानित किया।
राम जी तो सरयू के नीर में … (Kavya Sandhya)
वरिष्ठ कवि गुनवीर राणा ने पढ़ा कि राम जी तो सरयू के नीर में नहा रहे थे, राम जी के नीर में नहा रही थी सरयू। सरयू को सरयू बना रहे थे राम जी तो राम जी को राम जी बना रही थी सरयू।
राम संगीत में हैं…
कवि डॉ अनिल बाजपेयी ने पढ़ा कि राम इन हवाओं में हैं, राम इन फिज़ाओं में हैं, राम नीले अंबर में हैं, राम समंदर में हैं, राम ओम में हैं,राम व्योम में हैं, राम गीत में हैं,राम संगीत में हैं।
संतों की चरण धूल भी चंदन है… (Kavya Sandhya)
कवि डॉ आलोक बेजान ने पढ़ा कि संतों की चरण धूल भी चंदन है अवध में, आतुर यहाँ दर्शन को भी जन-जन है अवध में, सदियों के बाद लौट के आये हो अपने घर, दशरथ के लाड़ले तेरा वंदन है अवध में।
राम राम गाइये…
कवि देवेंद्र देव ने पढ़ा कि रट रट राम राम घट भरे अविराम निज मन आज राम रंग में रंगाइये। रंग में न होगा भंग होगा संग राम रंग रामरंग मे रंग राम राम गाइये।
जपा राम राम श्री नाम… (Kavya Sandhya)
कवयित्री डॉ तारा गुप्ता ने पढ़ा कि प्रश्न सभी हल हुए कर्म हुए निष्काम, मैंने जब जब भी जपा राम राम श्री नाम ।
रामलला आ गए लो अवध धाम में….
कवि राज चैतन्य ने पढ़ा कि रामलला आ गए लो अवध धाम में, भगवा ध्वज छा गया राम के नाम में, उन भक्तों को हमारा शत शत नमन, जो प्राण भी दे गए,राम के काम में।
तुझको चाहा मेरे मेहरबां… (Kavya Sandhya)
कवि राजीव सिंघल ने पढ़ा कि तुझको चाहा मेरे मेहरबां, अब तो आजा मेरे मेहरबां, मैं तेरा हूँ तेरा ही तो हूं, दूर ना जा मेरे मेहरबां।
धरा गगन भी हर्षित हो गए…
कवि डॉ सतीश वर्द्धन ने पढ़ा कि धरा गगन भी हर्षित हो गए पुलकित तन मन पुण्य ही पा गए। कलियुग का वनवास भोगकर राम अवध में वापिस आ गए।
आंसुओं से अगर नैन भर जायेंगे… (Kavya Sandhya)
कवि रामवीर आकाश ने पढ़ा कि आंसुओं से अगर नैन भर जायेंगे। नाव कागज की लेकर किधर जायेंगे। राम के नाम की लेके पतवार हम, भव सागर से भी यूँ तर जायेंगे।
शबरी की तरह व्याकुल थी…
कवि राम आसरे गोयल ने पढ़ा कि शबरी की तरह व्याकुल थी,जन – जन की अभिलाषा। हो नगरी अयोध्या जैसी,मन मंदिर की रख आशा।।
जला दे जगत में वहीं… (Kavya Sandhya)
कवयित्री सोनम यादव ने सरस्वती वंदना पढ़ते हुए कहा कि विधात्री मुझे ऐसी अनुपम विधा दे,सुरों में समाई वो रसमय सुधा दे।जला दे जगत में वही ज्ञान दीपक, हृदय तृप्त कर दे वो मधुमय क्षुधा दे।
लौट आए प्रभु राम…
कवि दिनेश त्यागी ने सुंदर दोहे पढ़े उनके बोल थे कि बहुत सहे हैं टैंट में , जाड़ा वर्षा घाम।युग परिवर्तन के लिए,लौट आए प्रभु राम।
पूजित अक्षत घर घर तुम्हे बुलाने को… (Kavya Sandhya)
कवि ओम पाल विकट ने पढ़ा कि भेज दिए हैं पूजित अक्षत घर घर तुम्हे बुलाने को। मंदिर का उद्घाटन होगा भूल न जाना आने को।।
ये कैसी हवा चली …
कवि विजय वत्स ने पढ़ा कि ये कैसी हवा चली ये कैसी हवा चली,सच्चा है निर्बल और झूंठा है महाबली।।
लोकहितकारी हुआ राम का स्वधाम… (Kavya Sandhya)
कवि सौरभ राणा ने पढ़ा कि लोकहितकारी हुआ राम का स्वधाम त्याग,त्राहि त्राहि थी धरा पे उसको मिटा दिया।
आज वातावरण राममय हो गया …
कवि दिव्य हंस दीपक ने पढ़ा कि चांद, सूरज, पवन, ये धरा और गगन, आज वातावरण राममय हो गया ।
राम का विरोध राम का ही काम हो गया…
कवि प्रेम कुमार पाल ने पढ़ा कि सबका योगदान अवध पुण्य धाम हो गया, राम का विरोध राम का ही काम हो गया, पाप सभी कैकयी ने अपने सर पे ले लिए, कौशलया मां का राम सबका राम हो गया।
मददगारों में नही मिलते… (Kavya Sandhya)
कवि प्रशांत कुमार ने पढ़ा कि अच्छे लोग कभी भी तलबगारों में नही मिलते, और जो कमजर्फ होते हैं मददगारों में नही मिलते।
कमा लेता हूं लाखों आजकल …
कवि कपिल वीर ने पढ़ा कि कमा लेता हूं लाखों आजकल में चंद लम्हों में, मगर वो बात गायब है जो उन लम्हों में आती थी।
वाल्मीकि की लेखनी में पुण्य सनातन नीति समाई…
कवि पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ा कि जिसने गाई राम चौपाई, हनुमत कृपा उसी पर आई। वाल्मीकि की लेखनी में पुण्य सनातन नीति समाई।
कोशिश की जाए तो मुद्दे हल हो सकते हैं… (Kavya Sandhya)
कवि मुकेश दक्ष ने पढ़ा कि उबड़ खाबड़ रास्ते भी समतल हो सकते हैं, कोशिश की जाए तो मुद्दे हल हो सकते हैं।
दीप जले घर घर में जगत हुआ उजियारा …
कवि आशु सिंह ने पढा कि दीप जले घर घर में जगत हुआ उजियारा है, श्री राम अवध में लौटे हैं ये पल कितना प्यारा है।
सभी का आभार व्यक्त किया (Kavya Sandhya)
अंत मे संस्था के प्रदेश अध्यक्ष राज चैतन्य ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की शुभकामनाये देते हुये सभी साहित्यकारों का आभार व धन्यवाद व्यक्त किया।