Khabarwala 24 News New Delhi : Kawad Yatra Prakar aur Niyam सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु गंगा नदी का पवित्र जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और शिव मंदिरों में उस जल को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। हिंदू धर्म में सावन माह का महत्वपूर्ण स्थान है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे शिव भक्ति का महीना भी कहा जाता है। कांवड़ की यात्रा अलग-अलग प्रकार होती है और सभी के लिए अलग-अलग नियमों का पालन किया जाता है।
कैसे शुरू हुई थी कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले विष को पीने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया था। विष के असर को खत्म करने के लिए रावण ने कांवड़ में जल भरकर बागपत स्थित पुरा महादेव में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। कहा जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई। इसके अलावा रामायण के अनुसार, भगवान राम ने भी कांवड़िया बनकर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया था।
कांवड़ यात्रा के अलग प्रकार (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
देश के हर हिस्से से शिव मंदिरों में कांवड़ यात्रा करने वाले श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इसमे विशेष रूप से उत्तराखंड में ब्रह्मकुंड से जल लेकर भगवान शिव को समर्पित करने का विशेष महत्व माना जाता है। आपके आस-पास से गुजरने वाले शिवभक्त अलग-अलग तरीकों से कांवड़ ले जाते हैं।
साधारण कांवड़ | Simple kawad (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
सामान्य कांवड़ यात्रा में कांवड़िए दो बर्तनों में गंगाजल भरकर एक बांस की छड़ी पर लटकाया जाता है। इसे कांवड़िए अपने कंधे पर रखते हैं और पैदल चलते हैं। यात्रा के दौरान जल को संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है।
डांक कांवड़ | Dank kawad (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
डांक कांवड़ तेजी से पूरी की जाने वाली कांवड़ यात्रा होती है। इसमें कांवड़िए बिना रुके तेजी से चलते हैं और निर्धारित समय में अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। डाक कांवड़ में विश्राम और गंगाजल का जमीन पर गिराना वर्जित होता है।
खड़ी कांवड़ | Khadi Kawad (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
कुछ भक्त खड़ी कांवड़ लेकर यात्रा करते हैं। ये कांवड़ संकेत करती हैं कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर शिव की पूजा करने के लिए तत्पर हैं। ये यात्रा शारीरिक और मानसिक तनाव को दूर करने, स्वयं को परिश्रम से संयमित करने और ध्यान में स्थिरता को विकसित करने का एक तरीका है।
दांडी कांवड़ | Dandi Kawad (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
दांडी कांवड़ यात्रा में भक्त नदी तट से शिव धाम तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं। यह बेहद मुश्किल यात्रा होती है, जिसमें कई दिन और कभी-कभी एक माह का समय तक लग जाता है।
सफेद कांवड़ | safed Kawad (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
यह कांवड़ विशेष भक्तों द्वारा प्रयास किए जाने वाले साधारण लंबे लकड़ी के डंडे पर आधारित होता है। इसको सादरी वस्त्र में बांधकर भक्त उठाता है।
पालकी कांवड़ | Palki Kawad (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
इस प्रकार की कांवड़ में एक पालकी उठाई जाती है, जिसमें गंगा जल रखा जाता है। यह भक्त द्वारा परिक्रमा करते समय उठाई जाती है।
कांवड़ यात्रा 365 दिन चलता (Kawad Yatra Prakar aur Niyam)
देवघर स्थित विश्व प्रसिद्ध द्वादश ज्योर्तिलिंग बैद्यनाथ धाम के बादल पांडा ने बताया कि कांवड़ यात्रा 365 दिन चलता है। यह कभी खत्म नहीं होता है। रही बात सावन की तो सावन में रक्षाबंधन तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देवघर में आती है लेकिन कांवड़ यात्रा 365 दिन चलता है जो कभी समाप्त नहीं होता है।