Sunday, July 7, 2024

Khatu Shyam Mela 2024 : बाबा खाटू श्याम धाम का लक्खी मेला अगले सप्ताह होगा शुरू, जानिए महत्व

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Khabarwala 24 News New Delhi : Khatu Shyam Mela 2024 जब बात हो खाटू श्याम बाबा के जन्मदिन की तो इस मौके पर सभी भक्त पहुंचना चाहते हैं।उनके जन्मोत्सव में झूमना चाहते हैं। खाटू श्याम बाबा के लाखों भक्तों को इंतजार रहता है कि कब वे अपने प्रभु का दर्शन करें। बाबा खाटू श्याम के दरबार में जो भी भक्त अपनी मनोकामना या परेशानी लेकर जाता है वह निराश होकर नहीं लौटता। खाटू श्याम बाबा सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आपको बता दें कि कलयुग के औतार खाटू श्याम बाबा का जन्मोत्सव अगले सप्ताह होगा। इस मौके पर यहां प्रसिद्ध लक्खी मेला भी लगता है।

पूरी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद (Khatu Shyam Mela 2024)

खाटू श्याम बाबा का लक्खी मेला फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में लगता है। इस बार यह मेला 12 मार्च से शुरू हो रहा है और अगले 10 दिनों 21 मार्च 2024 तक चलेगा।खाटू श्याम बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने वाले लाखों भक्त लक्खी मेला में पहुंचते हैं। भक्तों की भारी भीड़ जुटने के अनुमान में मंदिर कमिटी ने व्यापक इंतजाम शुरू कर दिए हैं। राजस्थान सीकर जिले का प्रशासन और पुलिस सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करना शुरू कर दिया है।

खाटू श्याम के लक्खी मेले की मान्यता (Khatu Shyam Mela 2024)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तब घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने हारने वाले पक्ष को सहारा देने के संकल्प के निकले थे। भगवान कृष्ण को जानकारी हुई तो रास्ते में बर्बरीक को रोक लिया। भगवान कृष्ण ने पूछा कि तुम किस पक्ष से युद्ध लड़ोगे इस बर्बरीक ने कहा कि हारने वाले का साथ देंगे। चूंकि भगवान कृष्ण को मालूम था कि कौरव युद्ध में हारेंगे इसलिए उन्होंने बर्बरीक से छल से काम लिया। बर्बरीक महान दानी भी था।

तुम कलयुग में हारे का सहारा बनोगे (Khatu Shyam Mela 2024)

ब्राह्मण के भेष में भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से दान में शीश मांग लिया। इस बार बर्बरीक ने अपना शीट काटकर भगवान कृष्ण के चरणों में अर्पित कर दिया। भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर वरदान दिया कि तुम कलयुग में हारे का सहारा बनोगे और मेरे अवतार के रूप में पूजे जाओगे। यही कारण है कि आज बर्बरीक को खाटू श्याम के रूप में पूजा होती है। तभी से यह कहावत भी चल निकली – “हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा।” कहा जाता है कि इसी मान्यता के चलते यहां लक्खी मेला लगता है।

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