Thursday, February 6, 2025

Kushinagar News एक ऐसा अनोखा देवी मंदिर, जहां मगरमच्छ भी करते हैं दर्शन

Join whatsapp channel Join Now
Folow Google News Join Now

Kushinagar News Khabarwala24 News Kushinagar : धार्मिक मान्यताओं में घड़ियाल देवी गंगा का वाहन है। उसी की प्रजाति मगरमच्छ यहां देवी के दर्शन करने आते हैं। आपको सुनने में यह कहानी लगती है लेकिन कुशीनगर में स्वयं खुली आंखों से यह सच देख सकते हैं।

कुशीनगर जिले के खड्डा ब्लॉक के नरकहवा गांव के पास स्थित हड़हवा देवी मंदिर का दृश्य कौतुहल जगाता है। गांव के करीब दो सौ मीटर आगे पेड़-पौधों की हरियाली के बीच सुंदर वातावरण में स्थापित मंदिर में जब कीर्तन की धुन गूंजती है तो पीछे स्थित झील से निकलकर मगरमच्छ मंदिर के द्वार तक आ जाते हैं। मुंह खोलकर कुछ देर यहां पड़े रहते हैं फिर कीर्तन खत्म होते ही चुपचाप चले जाते हैं। कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। उन्हें कोई छेड़े न, इसका ग्रामीण भी ध्यान रखते हैं।

Kushinagar News एक ऐसा अनोखा देवी मंदिर, जहां मगरमच्छ भी करते हैं दर्शन
श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं मगरमच्छ

नरकहवा गांव बिहार बॉर्डर के करीब है। स्थानीय लोगों के अनुसार 25 साल पहले तक यहां हड़हवा देवी की पिंडी स्थापित थी। लोग यहां पूजा-अर्चना करते थे। फिर यहां के पुजारी लल्लन दास ने लोगों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया और देवी की प्रतिमा स्थापित की गई। मंदिर के पीछे करीब छह सौ मीटर एरिया में झील है। वर्षों पहले यहां से पानी का सोता बहता था मगर बाद में इसने झील का आकार ले लिया। तभी से झील में मगरमच्छों का एक कुनबा रहता है। वन विभाग के अनुसार इनमें नर-मादा समेत कुल छह मगरमच्छ हैं। वे अक्सर पानी से बाहर निकलकर मंदिर तक पहुंच जाते हैं और कुछ देर वहां ठहरकर वापस झील में चले जाते हैं। श्रद्धालुओं के लिए ये मगरमच्छ आकर्षण का केंद्र हैं।

कीर्तन की धुन सुनकर मंदिर पहुंचते हैं मगरमच्छ

मंदिर के चारों ओर पेड़ पौधों की हरियाली है। नरकट के कई झुरमुट भी हैं। मंदिर के तीसरे पुजारी बताते हैं कि मगरमच्छों में एक या दो अक्सर मंदिर के द्वार तक आते हैं। यहां सप्ताह में दो से तीन दिन शाम को कीर्तन होता है। उस वक्त जरूर एक या दो मगरमच्छ मंदिर के बाहर पहुंचते हैं। मुंह खोलकर कुछ देर पड़े रहते हैं और कीर्तन समाप्त हाते ही झील में चले जाते हैं। लेकिन इन्होंने कभी किसी का नुकसान नहीं किया।

मंदिर पर नवरात्रि में लगता है मेला

मंदिर में चैत्र और शारदीय नवरात्र में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। रामनवमी के अवसर पर दो दिवसीय मेला लगता है, जिसमें हज़ारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान हड़हवा झील में रहने वाले मगरमच्छ बाहर निकलते हैं और धूप सेंककर चले जाते हैं। स्थनीय लोग सुनिश्चित करते हैं कि कोई व्यक्ति मगरमच्छों से छेड़छाड़ न करे।

क्या है मंदिर की मान्यता

स्थानीय लोगों व मंदिर के पुजारी के अनुसार मान्यता है कि आदिकाल में इस स्थान पर घनघोर जंगल था। एक राजा यहां शिकार खेलने आता था। एक दिन उसने देवी मां के किसी प्रिय जानवर का शिकार कर लिया। इससे नाराज होकर देवी ने सिंह का रूप धारण कर राजा का वध कर दिया। राजा भी देवी का भक्त था। अंतिम वक्त उन्होंने देवी से वरदान मांगा कि वह उनकी हड्डियों (अस्थियों) पर अपना स्थान बना लें। मान्यता है कि देवी मां ने राजा की प्रार्थना स्वीकार की और उनकी अस्थियों पर ही पिंडी रूप में स्थापित हो गईं। तबसे इस स्थान का नाम हड़हवा पड़ गया।

Kushinagar News एक ऐसा अनोखा देवी मंदिर, जहां मगरमच्छ भी करते हैं दर्शन add Kushinagar News एक ऐसा अनोखा देवी मंदिर, जहां मगरमच्छ भी करते हैं दर्शन Kushinagar News एक ऐसा अनोखा देवी मंदिर, जहां मगरमच्छ भी करते हैं दर्शन

यह भी पढ़ें...

latest news

Join whatsapp channel Join Now
Folow Google News Join Now

Live Cricket Score

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Live Cricket Score

Latest Articles