Khabarwala 24 News New Delhi: Laapataa Ladies किरण राव द्वारा निर्देशित ‘लापता लेडीज’ इस साल की शानदार फिल्मों में से एक मानी जा रही है। फिल्म में सभी कलाकार के अभिनय को काफी पसंद किया गया है। इस फिल्म से किरण राव ने निर्देशन में वापसी की थी। इससे पहले उनकी आखिरी फिल्म ‘धोबी घाट’ थी, जो साल 2010 में रिलीज हुई थी। ‘लापता लेडिज’ के साथ किरण राव ने अच्छी वापसी की है। अब फिल्म के ओटीटी रिलीज के बाद फेमस डायरेक्टर ने उनकी फिल्म की जमकर तारीफ की है।
फिल्म के दीवाने हुए डायरेक्टर हंसल मेहता (Laapataa Ladies)
लापता लेडीज को 26 मार्च को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम किया गया है। रिलीज होते ही फेमस डायरेक्टर हंसल मेहता ने फिल्म के लिए अपने विचार सामने रखे हैं। फिल्म निर्माता ने फिल्म को सरल, स्पष्ट और आकर्षक रूप से पुराने जमाने का बताया। मेहता ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “मैंने फिल्म ‘लापता लेडीज’ देखी. कभी-कभी फिल्म में सिर्फ सरलता और स्पष्टता की आवश्यकता होती है। ये फिल्म कुछ ऐसी ही है। मैंने इससे उम्मीदें लगायी थी, और जितना इस फिल्म में देखा, वह फिल्म उम्मीद से बढ़ कर निकली।”
लापता लेडीज की क्या है कहानी? (Laapataa Ladies)
‘लापता लेडीज’ शादी के बाद ससुराल जा रही दो दुल्हनों की कहानी है, जो ट्रेन यात्रा के दौरान बदल जाती हैं। इसके बाद उनके आगे के अनुभव और यात्रा पर फिल्म की कहानी आधारित है। इस फिल्म के सरल हास्य दृश्यों और बेहतरीन अदाकारी के लिए फिल्म को काफी तारीफें मिली हैं। आमिर खान प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्माण आमिर खान और ज्योति देशपांडे ने किया है। फिल्म में काफी प्रतिभावान कलाकारों ने अभिनय किया है। फिल्म में नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, स्पर्श श्रीवास्तव, छाया कदम और रवि किशन ने अहम किरदार निभाया है।
दूसरी फिल्म बनाने में क्यों लगें 11 साल
इसके साथ ही किरण राव ने वर्किंग और नॉनवर्किंग महिलाओं पर भी फोकस किया। उन्होंने कहा- ‘ हर महिला के लिए अपने काम और अपनी जिम्मेदारी दोनों को एक साथ निभाना मुश्किल होता है। सोसाइटी की एक्सपेक्टेशन्स एक महिला से कुछ ज्यादा ही होती हैं। इन सब के बीच अपने लिए समय निकाल के अपने लिए कुछ करना एक महिला के लिए बहुत मुश्किल है’।
किरण राव ने इसे एग्जामपल के साथ समझाया कि उनको क्यों 2011 मे धोबी घाट बनाने के बाद दूसरी फिल्म बनाने में 10 साल का समय लग गया। उन्होंने कहा- ‘धोबी घाट फिल्म के बाद से ही इस फिल्म की स्क्रिप्ट को लिखना शुरू कर दिया था लेकिन वो अपनी स्क्रिप्ट से खुश नहीं थीं।
आमिर खान की स्क्रिप्ट पर पड़ी नजर
इसके बाद एक दिन आमिर खान की नजर इस स्क्रिप्ट पर पड़ी और उन्होंने इसे फाइनल किया। इसी के साथ किरण ने बताया कि कैसे उनके पेरेंट्स के स्पोर्ट ने उन्हें बचपन से ही आगे बढ़ना सिखाया। किरण ने बताया कि जामिया में मॉस्टर्स के दौरान उनकी सोच लोगों को लेकर और वाइड होती गई। वो हर चीज को पहले से ज्यादा गहराई से सोचने लगीं’।