Khabarwala 24 News New Delhi : Lakshmi Ammal 90 साल की उम्र में भी लक्ष्मी अम्मल, मेहनत करने से नहीं डरतीं। उन्होंने अपनी 72 साल की बेटी के साथ मिलकर पिछले साल ही चेन्नई के पास ‘वक्साना फार्म स्टे’ की शुरुआत की है। जिस उम्र में आमतौर पर लोग जिम्मेदारियों से आज़ाद होकर जीवन जीते हैं, उस उम्र में इन्होंने एक नए काम की शुरुआत की है, जो अपने आप में एक मिसाल है। इस फार्म स्टे को डिज़ाइन करने से लेकर ऑर्गेनिक सब्जियों से मेहमानों के लिए मेन्यू तय करने जैसे सारे काम लक्ष्मी और कस्तूरी मिलकर करते हैं। जबकि उनके पोते सोशल मीडिया और मार्केटिंग का काम संभालते हैं। लेकिन इन सबसे बढ़कर, लोग यहां आकर इन माँ-बेटी की हिम्मत और उनके ज़िंदा दिल मिज़ाज के दीवाने हो जाते हैं।
ज़िम्मेदारी उठाना बिल्कुल आसान नहीं था (Lakshmi Ammal)
दरअसल, लक्ष्मी ने करीब 38 साल पहले अपने पति को खो दिया था, जिसके बाद उनके बेटे उनकी पुश्तैनी ज़मीन पर खेती करते थे। लेकिन 25 साल पहले उन्होंने अपने दोनों बेटों को भी खो दिया। इसके बाद, तो लक्ष्मी के जीवन से खुशियां और खेतों से फसल दोनों गायब हो गए। यह उनके जीवन का सबसे मुश्किल समय था। महज़ तीसरी पास लक्ष्मी के लिए घर की ज़िम्मेदारी उठाना बिल्कुल आसान नहीं था।
दादी में जीने की चाह और बढ़ गई है : किरुबा (Lakshmi Ammal)
90 साल की उम्र में चेन्नई की लक्ष्मी अम्मल, पूरे जोश के साथ सुबह-शाम काम करती हैं और लोगों को खुलकर जीवन जीने की प्रेरणा दे रही हैं। उनके पोते किरुबा का कहना है कि डेढ़ साल से उनकी दादी के अंदर जीने की चाह और बढ़ गई है और उनकी उम्र मानो थम सी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि डेढ़ साल पहले उन्होंने अपने पुश्तैनी खेतों में एक बेहतरीन फार्म स्टे बिज़नेस की शुरुआत की।
पोते की मदद से शुरू किया फार्म स्टे का काम (Lakshmi Ammal)
कुछ साल पहले, जब लक्ष्मी के पोते ने उन्हें उनकी बची हुई ज़मीन का इस्तेमाल करने की सलाह दी, तो लक्ष्मी को कोई अंदाजा ही नहीं था कि खेती के अलावा भी इस ज़मीन का कोई उपयोग हो सकता है। इसलिए शुरुआत में उन्हें थोड़ी हिचक भी हुई, लेकिन मजबूत इरादों वाली लक्ष्मी ने अपने पोते की बात मानने का फैसला किया और बेकार पड़ी अपनी ज़मीन पर एक छोटा सा फार्म स्टे बनाने की शुरुआत की।
शहर से दूर, सुकून भरे पल का मज़ा मिलता है (Lakshmi Ammal)
लक्ष्मी अम्मल अपनी बेटी कस्तूरी शिवरामन के साथ मिलकर यह बिज़नेस चला रही हैं, जिसमें उनके पोते किरुबा भी उनका साथ देते हैं। यहां मेहमानों को फार्म पर उगे ताज़े और ऑर्गेनिक चीज़ों से बना भोजन परोसा जाता है और शहर से दूर, सुकून भरे पल का मज़ा भी मिलता है। उन्हें खर्चे चलाने के लिए पुश्तैनी ज़मीन का कुछ हिस्सा और पशु धन भी बेचना पड़ा था। लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे बाहर जाकर काम करना शुरू किया। कभी मोमबत्ती बनाई, तो कभी खाना पकाने का काम किया।
हिम्मत और ज़िदादिली से रूबरू हाेने का माैका (Lakshmi Ammal)
जीवन में कई मुसीबतों का सामना करने के बाद भी लक्ष्मी ने सपने देखना नहीं छोड़ा, आज भी वह इस फार्म स्टे को और बेहतर बनाने का सपना देखती हैं और दिन रात इसके लिए मेहनत भी करती हैं। उनकी हिम्मत और ज़िदा दिली से रू-ब-रू होने के लिए आपको एकबार फार्म पर ज़रूर जाना चाहिए। वहां आपको अम्मा के हाथ का फार्म फ्रेश खाना भी मिलेगा।