Khabarwala 24 News Hapur: Lok Sabha Chunav 2024 भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी हो या फिर बहुजन समाज पार्टी सभी में टिकट की घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन सभी पार्टियां मेरठ-हापुड़ सीट से किनारा करके टिकट बांट रहे हैं। मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट को लेकर सभी पार्टियों में असमंजस है। जानकार बताते हैं कि मेरठ लोकसभा क्षेत्र अब चुनौती वाला और कठिन सीटों में शामिल हो गया है । पिछले चुनावों में देखा जाए तो यहां कांटे का मुकाबला होता रहा है।
मिशन पूरा करने का दम रखता हो (Lok Sabha Chunav 2024)
राजनीतिक दल ऐसे नाम की तलाश में है जो उनके मिशन को पूरा करने का दम रखता हो, इसलिए दावेदारों की फेहरिस्त में भी नाम तय कर पाने में शीर्ष नेतृत्व ठिठक रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने मुजफ्फरनगर, नोएडा समेत कई सीटों पर टिकट दे दिए लेकिन मेरठ को छोड़ दिया। उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल ने भी अपनी दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए।
मेरठ हापुड़ सीट पर छाया सन्नाटा (Lok Sabha Chunav 2024)
समाजवादी पार्टी ने कैराना समेत कई सीटों पर प्रत्याशी तय कर दिए, लेकिन मेरठ पर निर्णय नहीं कर पाई। बसपा ने वैसे तो आधिकारिक तौर पर प्रत्याशी नहीं घोषित किए हैं लेकिन बिजनौर, मुजफ्फरनगर समेत कुछ सीटों पर स्थिति स्पष्ट हो गई है सिर्फ औपचारिकता होनी बाकी है। शनिवार को आचार संहिता लग सकती है, एेसे में टिकट घोषित करने में देरी करने पर प्रत्याशी और राजनैतिक दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पीयूष गोयल का नाम हटा, स्थानीय दावेदारों के खिले चेहरे (Lok Sabha Chunav 2024)
भारतीय जनता पार्टी किसे टिकट देगी यह मेरठ ही नहीं आसपास सीटों पर भी चर्चा है। भाजपा के बारे में कोई कयास नहीं लगता फिर भी दावे का दौर तो चलता ही है। किसी के अनुसार राजेंद्र अग्रवाल ही टिकट पाएंगे तो कोई केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के मेरठ से लड़ने की संभावना जता रहा था। अब जब स्पष्ट हो गया है कि पीयूष गोयल महाराष्ट्र भेजे गए हैं तो यहां दावेदारों को राहत की सास ली है। कोई बाहर से आकर चुनाव लड़ेगा या पार्टी स्थानीय नेताओं में से ही किसी को चुनेगी यह तो पार्टी ही जाने।
स्थानीय नेताओं में दावेदारों की लंबी सूची (स्थानीय नेताओं में दावेदारों की लंबी सूची)
मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट पर स्थानीय नेताओं में दावेदारों की लंबी सूची है। कोई खुलकर सामने आ रहा है तो कोई चुपचाप संपर्क में है। सांसद राजेंद्र अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज, विधायक अमित अग्रवाल, संजीव गोयल सिक्का, विकास अग्रवाल, विनीत अग्रवाल शारदा तो सामने आ चुके हैं। वहीं यह भी चर्चा है कि डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी, धर्मेंद्र भारद्वाज, सरोजिनी अग्रवाल, सोमेंद्र तोमर, संगीत सोम का भी नाम पहुंचाया गया है।
सपा ने लखनऊ बुलाए दावेदार
सपा-कांग्रेस गठबंधन में मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट सपा के खाते में है। यहां पर आज प्रत्याशी का नाम घोषित हो सकता है। इसके लिए पार्टी ने फिर से दावेदारों और पदाधिकारियों को लखनऊ बुलाया है। तीन दिन पूर्व भी लखनऊ में बैठक हुई थी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पदाधिकारियों से राय ली थी। दावेदारों का इंटरव्यू लिया था। विभिन्न समीकरणों पर वार्ता के बाद गोपनीय रूप से लिखित राय भी ली गई थी ताकि ऐसे प्रत्याशी का चयन हो सके जो जीत दर्ज कर सके। दावेदारों में किठौर विधायक व पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर, सरधना विधायक अतुल प्रधान, शहर विधायक रफीक अंसारी, मुखिया गुर्जर, योगेश वर्मा, आकिल मुर्तजा, अब्बास, सन्नी गुप्ता, पूर्व सांसद हरीश पाल की पुत्रवधू नैना के नाम शामिल हैं।
प्रत्याशी की तलाश में जुटी बसपा
सबसे पहले टिकट की घोषणा कर देने वाली बसपा इस बार पीछे है। जानकार बताते हैं कि बसपा को चुनाव में बेहतर स्थिति तक टिकने या जीतने वाले प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। मेरठ-हापुड़ सीट से 2019 में याकूब कुरैशी चुनाव लड़े थे। तब वह जीत तो नहीं सके थे, इस सीट पर भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल ने परचम लहराया था। चर्चा पर विश्वास किया जाए तो फिर से वह चुनावी मैदान में उतर सकते हैं । उनके कारोबार को लेकर कई मुकदमे दर्ज हुए। जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
दूसरी ओर चर्चा है शाहिद अखलाक या फिर उनके भाई राशिद अखलाक की। शाहिद बसपा से सांसद और महापौर भी रहे हैं। वहीं याकूब कुरैशी के बारे भी यही बताया जा रहा है कि याकूब ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। इस सबके बीच अचानक चर्चा में बदर अली का नाम आया है।
चर्चा में है बदर अली का नाम
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बदर अली का नाम लगभग तय है क्योंकि हाल ही में उनकी मुलाकात बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती से हुई थी। वह फिलहाल सपा में हैं लेकिन महापौर चुनाव में उन्होंने मुस्लिम प्रत्याशी की मांग करते हुए पार्टी के निर्णय को नकारा था। बदर पर कई मुकदमे हैं। वह सीएए के विरोध में निकाली गई यात्रा के मामले में जेल भी गए थे। उनकी मुसलमानों में ठीक ठाक पकड़ है। महापौर के चुनाव में यह भी सामने आया था कि उन्होंने सपा के बजाय एआईएमआईएम के प्रत्याशी को मजबूत स्थिति में पहुंचाने में मदद की थी।