Khabarwala 24 News New Delhi: Lok Sabha Chunav 2024 सपा और कांग्रेस के बीच उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों को लेकर संशय बरकरार है। कांग्रेस अपनी प्रथम वरीयता वाली सीटें छोड़ने को तैयार नहीं है, जबकि सपा इन सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है। ऐसे में गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है। दोनों पार्टी के नेता जल्द ही सीट का मसला सुलझाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अंदरखाने हालात इससे कुछ अलग दिख रहे हैं।
तीन श्रेणी में बांटी सीट (Lok Sabha Chunav 2024 )
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को कांग्रेस ने वरीयता के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा है। पहली प्राथमिकता में उन सीटों को रखा है, जिसमें 2009 और 2014 में कांग्रेस को जीत मिली थी। इसके साथ ही पिछले वर्ष नगर निकाय के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली सीटों को भी वह अपनी प्राथमिकता में शामिल कर रही है। इस तरह पहली प्राथमिकता की 30 सीटों पर दावा किया।
सीटों को लेकर नहीं बन रही बात (Lok Sabha Chunav 2024 )
सीट निर्धारित करने के लिए बनी कमेटी की दो दौर की बातचीत भी हो चुकी है। पहले कांग्रेस और सपा ने हर सीट पर दो- दो उम्मीदवारों के नाम रखे। सूत्रों का कहना है कि सपा की ओर से कांग्रेस को करीब 20 सीटें दी जा रही हैं, लेकिन इसमें उसकी पहली प्राथमिकता वाली सीटों की संख्या सिर्फ पांच से सात ही हो रही है। अन्य उन सीटों को देने की पहल की गई है, जिन पर कांग्रेस का न तो जनाधार है और न ही संगठनात्मक तैयारी है। ऐसे में कांग्रेस ने इन सीटों को लेने से इन्कार कर दिया है।
किन सीटों में हरी झंडी (Lok Sabha Chunav 2024 )
सूत्रों का कहना है कि सपा की ओर से कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली, कानपुर के अलावा जालौन, बांसगांव, बरेली, सीतापुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर आदि सीटें देने की पहल की गई है, लेकिन कांग्रेस इन सीटों को लेने को तैयार नहीं है। कांग्रेस की पहली प्राथमिकता में फर्रुखाबाद, लखीमपुर खीरी आदि सीटें हैं, लेकिन इन सीटों पर सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इसी तरह सहारनपुर सीट भी सपा नहीं देना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस सीट को छोड़ने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में दोनों दलों के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। हालांकि सपा नेताओं का कहना है कि जनाधार के आधार पर सीटों पर बातचीत चल रही है, जल्द ही इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कांग्रेस ने पहली प्राथमिकता वाली सीटों पर लंबे समय से तैयारी की है। ऐसे में उन्हें छोड़ना भविष्य की सियासत के लिहाज से ठीक नहीं होगा। सपा को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा को हराने के लिए जहां जिसकी मजबूती है, उसे वह सीटें दिया जाए।