Saturday, July 6, 2024

Lok Sabha Election 2024 भाजपा की रालोद से हुई दोस्ती तो इन 14 सीटों पर राह हो जाएगी आसान , दोनों को होगा फायदा

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Khabarwala 24 News Lucknow: Lok Sabha Election 2024 एनडीए में राष्ट्रीय लोकदल के शामिल होने की अटकलों के बीच नजरें अब रालोद के अगले कदम पर टिक गई है। रालोद नेता जहां अटकलों को सिरे से खारिज कर रहे हैं, वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने लखनऊ में कहा कि राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। समाजवादी पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि रालोद के साथ गठबंधन कायम है। फिर भी यदि सियासी समीकरण बदलते हैं तो सियासी गुणा-भाग लगाने वालों का मानना है कि इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी उलटफेर होगा। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल दोनों को फायदा हो सकता है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक में राष्ट्रीय लोकदल का जाट वोट के कारण मजबूत आधार है। गन्ना और किसान पट्टी होने से भी मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद सहित वेस्ट यूपी की पट्टी निर्णायक है। वर्ष 2009 में रालोद का भाजपा से गठबंधन हुआ था। रालोद के तब पांच सांसद बने थे। अब स्थिति यह है कि रालोद का लोकसभा में कोई सदस्य नहीं है।

बीजेपी को और मिलेगी मजबूती (Lok Sabha Election 2024)

मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मंडल की 14 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में भाजपा ने 14 में से सात सीटें ही जीती थी। रामपुर की सीट बाद में उपचुनाव में भाजपा के पास आ गई। अन्य पर सपा-बसपा गठबंधन की जीत हुई थी। रालोद का सफाया हो गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब यदि भाजपा और रालोद की दोस्ती पक्की हो गई तो दोनों पार्टियों को लाभ होगा। रालोद का लोकसभा में खाता खुल जाएगा। भाजपा को और मजबूती मिलेगी।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का दावा है कि 2024 में भाजपा 2014 का इतिहास दोहराएगी। 2014 में भाजपा ने विपक्ष का सफाया कर दिया था। इस बार ऐसा ही होगा। वहीं फिलहाल एक्स सहित रालोद खेमे में खामोशी है लेकिन रालोद नेता तमाम अटकलबाजी को खारिज कर रहे हैं।

2014 और 2019 रालोद का अच्छा नहीं रहा अनुभव (Lok Sabha Election 2024)

पश्चिमी यूपी में 2014 में रालोद आठ सीटों पर चुनाव लड़कर भी एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी। इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में 14 सीटों में भाजपा ने सात और सपा-बसपा ने तीन-चार सीटों पर जीत हासिल की थी। 2019 में सपा और बसपा के साथ गठबंधन में तीन सीटों पर चुनाव लड़ने वाली रालोद को एक भी सीट पर जीत नहीं मिल पाई थी। इस तरह विधानसभा में तो सपा गठबंधन में रालोद को लाभ हुआ, लेकिन लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन में रालोद को नुकसान हुआ है। अब ऐसी स्थिति में भाजपा-रालोद की बात बन जाती है तो पश्चिमी यूपी की राजनीति में भारी उलट-‌फेर होना तय है।

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