Khabarwala 24 News Delhi: London स्कूल के दौरान अधिकांश लोगों ने पढ़ा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी लॉ की पढ़ाई के लिए लंदन गए थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी के अलावा अपने देश के कौन बड़े नेता लंदन में रह चुके हैं। वहीं महात्मा गांधी समेत बाकी नेता जिन घरों में रहते थे, उन घरों की क्या स्थिति है। चलिए हम आपको बताएंगे कि लंदन में मौजूद इन घरों की क्या स्थिति है।
मोहनदास करमचन्द गांधी (London)
मोहनदास करमचन्द गांधी 18 साल की उम्र में गुजरात से लंदन पहुंच गए थे। पढ़ाई के दौरान वह लंदन में नंबर 20 बैरन कोर्ट रोड पर रहते थे। आज भी ये घर उनकी याद दिलाता है। इंग्लैंड सरकार इन घरों को एक नीली पट्टी लगातार महात्मा गांधी जी के प्रति समर्पित कर दिया है।
राजा राम मोहन राय (London)
राजा राम मोहन राय को 1830 या 1831 में मुगल सम्राट अकबर शाह द्वितीय ने इंग्लैंड के राजा के पास अपना राजदूत बनाकर भेजा था। गौरतलब है कि उन्हें बंगाल पुनर्जागरण का जनक कहा जाता है। राजा राम मोहन लंदन के ब्लूम्सबरी में रहते थे। आपको बता दें कि आज भी उनका घर काफी अच्छी स्थिति में है।
विनायक सावरकर (London)
विनायक दामोदर सावरकर लंदन में हाईगेट में 65 क्रॉमवेल एवेन्यू के घर में रहते थे। इस घर को 1905 से 1910 तक इंडिया हाउस भी कहा जाता था। वह जब लंदन कानून की पढ़ाई करने गए थे, उस वक्त वो 1906 से 1909 तक इसी इंडिया हाउस में रहते थे।
बीआर आंबेडकर (London)
बाबा साहब डा. भीम राव आंबेडकर लंदन के चॉक फार्म पड़ोस में किंग हेनरी रोड पर नंबर 10 पर स्थित मकान में रहते थे। हालांकि 2015 में इस घर को महाराष्ट्र सरकार ने खरीदकर उनके स्मारक में बदल दिया था। अंबेडकर 1921 से 1922 तक पढ़ाई के सिलसिले में इस घर में रहते थे।
पंडित जवाहर लाल नेहरू (London)
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1910 और 1912 में इनर टेम्पल में कानून की थी। इस दौरान वह लंदन के नॉटिंग हिल केंसिंग्टन में 60 एल्गिन क्रिसेंट के एक अपार्टमेंट में रहते थे। वह 1911 में हाइड पार्क के पास 38 ग्लूसेस्टर टेरेस में भी कुछ समय के लिए थे।
सरदार पटेल (London)
सरदार वल्लभभाई पटेल लंदन के लाडब्रोक ग्रोव में रहते थे। आपको बता दें कि सरदार पटेल 36 साल की उम्र में मिडिल टेम्पल में कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन आये थे। इस दौरान 1912 से 1914 तक इसी घर में रहते थे।
रवींद्र नाथ टैगोर (London)
इसके अलावा रवीन्द्रनाथ टैगोर 1912 में अपने कविता संग्रह गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद पर काम करते समय वेले ऑफ हेल्थ हैम्पस्टेड में एक घर में रुके थे। लंदन में रहने के दौरान टैगोर वहां के साहित्यिक दिग्गजों के साथ मिलते जुलते थे। गौरतलब है कि 1913 में टैगोर को गीतांजलि पर साहित्य का नोबल पुरस्कार भी मिला था। आपको बता दें कि ये सभी घर अब भी बहुत अच्छी स्थिति में हैं और उन्हें बेहतर तरीके से संरक्षित करके रखा भी गया है।
जानकारी के अनुसार लंदन ग्रेटर काउंसिल ने ऐसे कई घरों को चिन्हित करके उन्हें अपनी इंग्लिश विरासत सूची में शामिल कर लिया है। इसके लिए इन खास घरों पर नीले रंग की खास गोल प्लेट लगाई गई है। जिसमें वो घर क्यों महत्वपूर्ण है, ये लिखा हुआ है। हाल के बरसों में लंदन ग्रेटर कौंसिल ने कई उन घरों को चिन्हित करके उन्हें अपनी इंग्लिश विरासत सूची में शामिल कर लिया है। इसके लिए इन खास घरों पर नीले रंग की खास गोल पट्टिका लगाई गई, जिसमें लिखा है कि अमुक हस्ती इन सालों के दौरान इस घर में रहती थी। हाल के बरसों में लंदन ग्रेटर कौंसिल ने कई उन घरों को चिन्हित करके उन्हें अपनी इंग्लिश विरासत सूची में शामिल कर लिया है। इसके लिए पट्टिका लगाई गई, जिसमें लिखा है कि अमुक हस्ती इन सालों के दौरान इस घर में रहती थी।