Khabarwala 24 News New Delhi : Lord Ram Vanar Sena आगामी 17 अप्रैल यानी चैत्र शुक्ल नवमी को प्रभु श्री राम के अवतार का दिन है। जैसा कि सभी जानते हैं वानरों के सहयोग से ही प्रभु श्री राम ने समुद्र को पार कर लंका में रावण सहित सभी राक्षशो का वध किया था जिसमें सर्वाधिक साथ दिया वानर राज सुग्रीव और हनुमान जी ने। क्या आप जानते हैं कि राम की वानर सेना ने मदद क्यों की। दरअसल इसके पीछे जुड़ा नारद जी का श्राप है। आईए जानते इसके पीछे का रहस्य।
नारद जी को बड़ा ही घमंड हो गया था | Lord Ram Vanar Sena
महृषि नारद नारायण ‘ के परम भक्त है जिसे से नारद जी को अपने ज्ञान और विद्वता पर बड़ा घमंड हो गया था उसे चूर-चूर करने के लिए नारायण ने अद्वित्य सुंदरी विश्वमोहिनी को प्रकट किया और नारद को उसके मोह में डाल दिया। नारद जी ठहरे जिनके हाथ में विणा तो दूसरे हाथ में करतल। उन्हें लगा उस रूप में गए तो विश्व मोहिनी उनसे विवाह करने से इनकार कर सकती है तो सीधे श्री हरि के पास पहुंचे। उनके सुंदर रूप देने की मांग की तो उन्हें वानर का रूप दे दिया।
बिना वानरों की सहायता से जीत नहीं | Lord Ram Vanar Sena
बड़ी ही प्रसन्नता के साथ ही वो विश्व मोहिनी के स्वयंवर में चले गए। वह समझ रहे थे कि उनके रूप पर मोहित होकर विश्व मोहनी उनके गले में ही वर माला डालेगी। लेकिन उनके सहित सभी लोग उन्हें देख हँस दिए। विवाह करने की उनकी योजना पर पानी फिर गया। घोर निराशा में नारद जी ने नारायण को श्राप दे दिया कि तुमने मुझे स्त्री जनित दुख दिया है वही तुम भी पाओगे। तुमने जो रूप देखकर मेरी हंसी उड़ाई है बिना वानरों की सहायता से संग्राम में विजय नहीं प्राप्त कर सकेंगे।
मानस पुत्र और वेदों की ज्ञाता महर्षि थे | Lord Ram Vanar Sena
नारद जी ब्रह्मा जी के मानस पुत्र और वेदों की ज्ञाता महर्षि थे। उनका श्राप सत्य होना ही था उनके श्राप के कारण नारायण ने अयोध्या की महाराज दशरथ और महारानी कौशल्या का पुत्र बनकर अवतार लिया। बाद में उन्हें अपनी पत्नी सीता का वियोग भी झेलना पड़ा था और वानरों की सहायता से ही वह लंकाधिपति रावण सहित उसके सहित उसके कुल का संघर्ष कर सकने में सफल हुई है।