Khabarwala 24 News New Delhi : Lord Shiva Trinetra Story भगवान शिव को समय और कालचक्र के बंधनों से परे माना जाता है, जिन पर वासना, भावना, अपमान, मान, मोह , माया आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। भगवान शिव आदि, अनादि माने जाते हैं यानी की भगवान शिव जिनका न कोई आरम्भ है और न ही कोई अंत। भक्तों के मन में बस शिव के प्रति सच्ची भावना होनी चाहिए। भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश पर्वत पर है। भोलेनाथ महादेव को त्रिलोचन के नाम से भी जाना जाता है। त्रिलोचन का अर्थ है तीन आंखों वाले प्रभु महाकाल। भगवान शिव ही एक मात्र ऐसे देव हैं, जिनकी तीन आंख हैं। मान्यता के अनुसार प्रभु नीलकंठ अपनी तीसरी आंख का प्रयोग तब करते हैं, जब उन्हें सृस्टि का संहार करना होता है। आइए जानते हैं आखिर कैसे मिला तीसरा नेत्र? क्या है रहस्य। त्रिनेत्र की पौराणिक कथा।
एक बार हिमालय पर चल रही थी सभा (Lord Shiva Trinetra Story)
महाभारत के छठे खंड के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि किस तरह से शिवजी को तीसरी आंख मिली। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी भगवान शिव और माता पार्वती के बीच हुई बातचीत बताई। इसी बातचीत में त्रिनेत्र का रहस्य छुपा हुआ है। नारद जी बताते हैं कि एक बार हिमालय पर भगवान शिव एक सभा कर रहे थे, जिसमें सभी देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन शामिल थे। तभी माता पार्वती आईं और अपने दोनों हाथों से भगवान शिव की दोनों आंखों को ढक दिया।
आंख ढंकते ही सृष्टि में छा गया अंधेरा (Lord Shiva Trinetra Story)
जैसे ही माता पार्वती ने भगवान शिव की आंखों को ढंका, संपूर्ण सृष्टि में अंधेरा छा गया। ऐसा लगने लगा जैसे सूर्य देव का कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसके बाद धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं के बीच जीवन का संकट पैदा हो गया। सूर्य के प्रकाश का प्रभाव खत्म हो गया और धरती पर हाहाकार मच गया था। अंधकार इस प्रकार का था कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण भी कुछ नहीं देख पा रहे थे। तभी भगवान शिव ने अपने माथे पर ज्योतिपुंज प्रकट किया।
माथे पर ज्योतिपुंज से लौट आई रोशनी (Lord Shiva Trinetra Story)
इसी वजह से सृष्टि में वापस से रोशनी लौटी उनकी ज्योतिपुंज को ही तीसरी आंख कहा जाता है। ऐसे में पार्वती जी ने भी शिव से उनकी तीसरी आंख के रहस्य के बारे में पूछा था तब शिवजी ने उन्हें बताया था कि उनकी तीसरी आंखें जगत की पालनहार है। अगर वह ज्योतिपुंज ही प्रकट नहीं करते तो सृष्टि का विनाश हो जाता। ऐसे में शिवजी अपनी तीसरी आंख तभी खोलते हैं जब विनाश का समय होता है। उससे पहले वह अपनी तीसरी आंख को हमेशा बंद रखते हैं।
एक आंख सूर्य है, तो दूसरी आंख चंद्रमा (Lord Shiva Trinetra Story)
कई धर्मग्रंथों में कहा गया है कि शिव जी की एक आंख सूर्य है, तो दूसरी आंख चंद्रमा है। इसलिए जब पार्वती जी ने उनके नेत्रों को बंद किया तो चारों ओर अन्धकार फैल गया था। कहते हैं शिव जी की तीसरी आंख उनका कोई अतिरिक्त अंग नहीं है बल्कि ये उनकी दिव्य दृष्टि का प्रतीक है, जो आत्मज्ञान के लिए बेहद ज़रूरी है। शिव जी को संसार का संहारक कहा जाता है जब जब संकट के बादल छाए तब तब भोलेनाथ ने पूरे संसार को विपदा से बचाया है।
जबतक मन शांत है आंख बंद रहती है (Lord Shiva Trinetra Story)
माना जाता है कि महादेव की तीसरी आंख से कुछ भी बच नहीं सकता। यह आंख बंद रहती है जबतक मन शांत होता है किन्तु जब उन्हें क्रोध आता है तो उनके इस नेत्र की अग्नि से कोई नहीं बच सकता। शिव जी की तीसरी आंख हमें यह सन्देश देती है कि हर मनुष्य के पास तीन आंखें होती है। ज़रुरत है तो सही समय पर उसका सही उपयोग करने की। ये तीसरी आंख हमें आने वाले संकट से अवगत कराती है। सही गलत के बीच हमें फर्क बताती है और साथ ही हमें सही रास्ता भी दिखाती है।
हर परिस्थिति में करती है यह मार्गदर्शन (Lord Shiva Trinetra Story)
जीवन में कई बार ऐसी परेशानियां आ जाती है जिन्हें हम समझ नहीं पाते ऐसी परिस्थिति में यह हमारा मार्गदर्शन करती है। धैर्य और संयम बनाए रखने में भी ये हमारी मदद करती है। भगवान शिव शव के जलने के बाद उस भस्म को अपने पूरे शरीर पर लगाते हैं। इसका अर्थ यह है कि हमारा यह शरीर नश्वर है। एक न एक दिन इसी प्रकार राख हो जाएगा इसलिए हमें कभी भी इस पर घमंड नहीं करना चाहिए। साथ ही सुख और दुःख दोनों हो जीवन का हिस्सा है, जो व्यक्ति खुद को परिस्तिथियों के ढाल लेता है उसका जीवन सफल हो जाता है और यह उसका सबसे बड़ा गुण होता है।