Sunday, July 7, 2024

Lord Vishnu Chaturmas 2024 17 जुलाई से शुरू होने जा रहा है चातुर्मास, पूजा पाठ के लिए विशेष, भूलकर भी न करें ये काम

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Khabarwala 24 News New Delhi : Lord Vishnu Chaturmas 2024 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को जगत का पालनहार माना जाता है। भगवान विष्णु आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को क्षीर सागर में शयन करने के लिए चले जाते हैं। इस बार वर्ष 2024 में चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई, दिन बुधवार से हो रही है।

यह चातुर्मास चार महीने का होगा और इसका समापन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तिथि, 12 नवंबर को होगा। हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। भगवान विष्णु के शयन काल से लेकर जागने तक के समय को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास को पूजा पाठ के लिए विशेष माना जाता है लेकिन इस बीच किसी भी तरह के शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है।

इस दिन से शुरू होंगे मांगलिक कार्य (Lord Vishnu Chaturmas 2024)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 16 जुलाई, दिन मंगलवार को शाम के समय 8 बजकर 33 मिनट से होगी और इसका समापन अगले दिन, 17 जुलाई, दिन बुधवार की रात को 9 बजकर 2 मिनट पर होगा इसलिए 17 जुलाई 2024 दिन बुधवार को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी और कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर को शाम के समय 6 बजकर 46 मिनट से होगा और इसका समापन 12 नवंबर की शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा, इसलिए 12 नवंबर 2024, दिन मंगलवार को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। देवउठनी एकादशी के साथ ही 13 नवंबर से सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य जैसे शादी विवाह और सगाई जैसे शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे।

इस दौरान भूलकर भी न करें ये काम (Lord Vishnu Chaturmas 2024)

चातुर्मास के दौरान तामसिक भोजन, जैसे मांस, मछली, अंडा, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दौरान शराब और किसी प्रकार के नशे से बचना चाहिए। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य न करें, क्योंकि चातुर्मास के दौरान शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है।

मान्यता है कि, चातुर्मास के दौरान लंबी यात्रा करने से भी बचने की कोशिश करनी चाहिए। चातुर्मास की अवधि में जितना हो सके सात्विक भोजन करना चाहिए और ध्यान करने, धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने का प्रयास करना चाहिए। ज्यादातर समय धार्मिक कार्यों में बिताना चाहिए। इस दौरान किसी भी जीव पर किसी भी प्रकार का अत्याचार या हिंसा नहीं करनी चाहिए सभी के साथ प्रेमपूर्ण बने रहने का प्रयास करना चाहिए।

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