Thursday, December 19, 2024

Maa Kali Puja प्रबल शत्रुहन्ता हैं माता काली, मिलती है वाक् सिद्धि, हर इच्छा पूरी कर देगी इनकी साधना पर होगी कठिन परीक्षा…

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Khabarwala 24 News New Delhi : Maa Kali Puja कालीजी प्रबल शत्रुहन्ता हैं, उनके आशीर्वाद से दुश्मन शांत हो जाते हैं या पस्त होकर बैठ जाते हैं। शत्रुओं का मान मर्दन करने, विजय पाने, कोर्ट कचहरी में चल रहे मुकदमे में सफलता आदि के लिए काली साधना वरदान जैसी है।

काली साधना से वाक् सिद्धि मिलती है यानि जो भी कहा जाए वह सत्य हो जाता है। कालीजी की साधना से भक्त पूर्ण निर्भय हो जाता है, उसे किसी बात का डर नहीं रहता। मां काली यानि देवी का सबसे विकराल रूप। जिन्हें देखकर ही हर कोई डर जाए। हालांकि कालीजी का रूप ही भयंकर हैं पर हैं वे उतनी ही ममतामयी।

दस महाविद्याओं में काली सर्वप्रमुख (Maa Kali Puja)

दस महाविद्याओं में काली सर्वप्रमुख कहीं गई हैं। माता काली की साधना से जीवन के सभी दुख दूर किए जा सकते हैं और समस्त कामनाओं की पूर्ति भी की जा सकती है पर इसके लिए बहुत कठिन तप भी करना होगा। माता काली की साधना करने वालों को कई कठिन स्थितियों से गुजरना पड़ता है। कालीजी विकट परीक्षा लेती हैं हालांकि इस दौर के गुजरने के बाद उनका आशीर्वाद जरूर मिलता है। मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

भक्त के विकारों की कुर्बानी लेती है (Maa Kali Puja)

दरअसल मां काली को बलि बहुत प्रिय है। मां काली को प्रसन्न करने के लिए हमें भी बलि जरुर चढ़ानी होगी लेकिन यह बलि किसी जानवर की नहीं बल्कि विकारों की होती है। पूजा पाठ, साधना शुरू करते ही मां अपने भक्त के विकारों की कुरबानी लेना प्रारंभ कर देती हैं। उनके जन्म जन्मांतरों के पाप नष्ट करने लगती हैं और इस प्रक्रिया में भक्त को बेहद बुरी परिस्थितियों से भी गुजरना होता है। इस परीक्षा में कामयाब होने पर ही मां, किसी की भक्ति को स्वीकार करती हैं।

स्नान के बाद कालीजी की साधना करें (Maa Kali Puja)

कालीजी की साधना शुरू करने के पहले कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। अपने विकारों को खत्म करें, खासतौर पर काम विकार पर अंकुश लगाएं। साधना काल में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। खान पान शुद्ध करें, बिना लहसुन प्याज का सात्विक आहार ही लें। मांस मदिरा का त्याग कर दें। जहां तक संभव हो, सुबह ब्रहममुहूर्त में उठकर स्नान के बाद कालीजी की साधना करें। नवरात्रि के पहले दिन, किसी भी माह के शुक्लपक्ष की नवमी अथवा किसी भी मंगलवार से काली जी साधना प्रारंभ कर सकते हैं। मां काली की प्रसन्नता के लिए काली मंत्र या ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे मंत्र का जाप कर सकते हैं।

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