Khabarwala 24 News New Delhi : Made in India iPhones अमेरिकी स्मार्टफोन कंपनी एप्पल ने वित्त वर्ष 2023-24 में ग्लोबल आईफोन का 14 प्रतिशत भारत में ‘असेंबल’ किया और ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में देश की रैंकिंग में चार पायदान का सुधार हुआ। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में मोबाइल फोन सेक्टर में अधिकतम वृद्धि हुई है। इसी वित्त वर्ष में उद्योग ने भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद में चार प्रतिशत का योगदान दिया। वित्त वर्ष 2022-23 में 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 5.7 अरब डॉलर हो गया।
असेंबल हुए 14 अरब डॉलर के आईफोन (Made in India iPhones)
इकोनॉमिक सर्वे में तीसरे पक्ष के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान एप्पल ने भारत में 14 अरब डॉलर मूल्य के आईफोन ‘असेंबल’ किए, जो ग्लोबल आईफोन उत्पादन का 14 प्रतिशत है। इसमें कहा गया, फॉक्सकॉन ने कर्नाटक और तमिलनाडु में एप्पल मोबाइल फोन का उत्पादन शुरू किया।
निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 0.88% (Made in India iPhones)
सर्वेक्षण कहता है विश्व इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2018 के 0.63 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 0.88 प्रतिशत हो गई है। इस प्रकार ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भारत का निर्यात (रैंकिंग) 2018 के 28वें स्थान से 2022 में 24वें स्थान पर पहुंच गया।
ग्लोबल मार्केट में बढ़ रही हिस्सेदारी (Made in India iPhones)
भारत के व्यापारिक निर्यात में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018-19 के 2.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 6.7 प्रतिशत हो गई। कहा गया, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने 2014 के बाद से उल्लेखनीय वृद्धि हुई जो वित्त वर्ष 2021-22 में ग्लोबल बाजार हिस्सेदारी का अनुमानित 3.7 प्रतिशत था।
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में डीवीए (Made in India iPhones)
समीक्षा में सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज के एक अध्ययन का हवाला दिया गया, जो दर्शाता है कि वित्त वर्ष 2016-17 से मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए), रोजगार, मजदूरी तथा वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
इकोनॉमिक सर्वेक्षण में वृद्धि का संकेत (Made in India iPhones)
इकोनॉमिक सर्वेक्षण में कहा गया मोबाइल फोन उत्पादन में डीवीए की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2016-17 से वित्त वर्ष 2018-19 (चरण 1) में औसतन 8.7 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2021-22 (चरण 2) में 22 प्रतिशत हो गई, जो स्थानीय भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत है।