Friday, December 27, 2024

Mahashivratri 2024 भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का पर्व कब है? जानें तारीख, पूजा का शुभ मुहूर्त और सरल पूजन विधि

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Khabarwala 24 News New Delhi : Mahashivratri 2024 महाशिवरात्रि पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। मान्‍यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्‍या की थी और इसी दिन उनकी तपस्‍या सफल हुई और भगवान शिव-माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर पूरे भारत के शिव मंदिरों में कई दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। घर-घर में रुद्राभिषेक और रुद्री निर्माण होता है। शिव मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ रहती है। वैसे हर महीने के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को भी मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन उपवास रखना और पूजा करना जीवन में अपार सुख-समृद्धि देता है।

कब है महाशिवरात्रि का पर्व (Mahashivratri 2024)

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च की रात 9 बजकर 57 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन यानी 9 मार्च की शाम 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में ही होता है इसलिए 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा।

महाशिवरात्रि की पूजा विधि (Mahashivratri 2024)

महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें और साफ कपड़े पहनें। बेहतर होगा कि नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें मिला लें फिर भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करके व्रत और पूजा का संकल्प लें फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। शिव मंदिर जाकर भगवान शिव का अभिषेक करें या घर पर ही रुद्राभिषेक करें।

चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं (Mahashivratri 2024)

इसके लिए शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं फिर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। कच्चे दूध या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि से भगवान शिव और माता पार्वती का अभिषेक करें।

अगले दिन पूजा, खोलें व्रत (Mahashivratri 2024)

ध्‍यान रहे कि पूजा में भगवान शिव को भांग, धतूरा, फल, मदार के पत्ते, बेल पत्र आदि अर्पित करें। वहीं माता पार्वती को श्रृंगार अर्पित करें। इसके बाद शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ करें। भगवान शिव के मंत्रों का जप करें। अगले दिन सामान्य पूजा पाठ करके अपना व्रत खोलें।

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