Khabarwala 24 News New Delhi : MahaShivratri 2024 सभी देवों में शिवजी का स्वरूप सबसे निराला है। उनकी वेशभूषा जितनी रहस्यमय और विचित्र है, उतनी ही आकर्षक भी है। वे अपने शरीर पर भस्म, माथे पर चंद्रमा, अपनी जटा में गंगा और गले में नाग धारण करते हैं। इन सभी चीजों को धारण करने के पीछे अलग-अलग किस्से हैं और ये सभी आज के समय में भी प्रासंगिक हैं जो समाज को एक खास संदेश देती हैं। युवा अपने परिवार के साथ चलें, मतभेद से मनभेद न होने दें। विषमता में परिवार को एक साथ कैसे लेकर चलना है यह संदेश शिव पंचायत महाशिवरात्रि पर्व देता है। आइए जानते हैं कि भाेले शंकर जी के द्वारा धारण की गई वस्तुएं क्या संदेश देती हैं…
शिव जी का नंदी-सब्र (MahaShivratri 2024)
शिव जी के नंदी जो बाहर बैठे एकटक देख इंतजार करते रहते हैं, हमारे जीवन में सब्र रखने का संदेश देते हैं। हम नंदी जी की कान में अपनी प्रार्थना इच्छा बोल आते हैं और साथ में सब्र भी ले आते हैं कि हर कार्य अपने समय पर पूर्ण होगा। ऐसे में सब्र रखना भी नंदी जी से सीखें।
शिव जी की भस्म-अंत (MahaShivratri 2024)
आज के युग में भस्म हमें हमारा अंत याद दिलाती है, जो कलयुग में इंसान भूल जाता है। जब-जब शिव जी के शरीर पर लगी भस्म देखें तो यही सोचना कि एक दिन आपको भी भस्म में बदलना है, आपके साथ सिर्फ आपके कर्म जाएंगे।
शिव जी का डमरू-सुख-दुख (MahaShivratri 2024)
बचपन में हमने डमरू देखा, जो मदारी के हाथ में होता था। मदारी अपने डमरू से बंदर बंदरिया को जैसा चाहे वैसा नचाता था। ऐसे ही शिव जी के डमरू के आगे हम वैसे ही हैं जैसे मदारी के आगे बंदर। डमरू दोनों तरफ से बजता है जो जीवन के सुख दुख को दर्शाती है। हमारी श्वास शिव हैं, जब तक श्वास रूपी शिव हैं उनके द्वारा निर्धारित कर्म यात्रा सुख दुख के साथ पूरी करनी है।
शिव जी का सर्प-सजगता (MahaShivratri 2024)
धरती पर सबसे ज्यादा सजग अवेयर प्राणी सर्प ही है। सजगता का स्थान शरीर के दोनो भौह के बीच का स्थान है, जहां सजगता रहती है। कुछ याद करना हो तो स्वत: उंगली उस स्थान पर चली जाती है। शिव का सर्प सदा सजग अवेयर रहने का संदेश देता है।
नीलकंठ-कड़वे घुट (MahaShivratri 2024)
शिव जी ने ब्रह्मांड को बचाने के लिए विष पिया एवं शिव पंचायत जिसमे गणेश जी का चूहा, शिव जी का नंदी, कार्तिकेय का मोर जो आपस में एक पल नहीं रह सकते एक साथ एक परिवार में रख संदेश दिया। कितनी भी विषमता हो अपना परिवार न छोड़ें। कलयुग पुराण में महाशिवरात्रि को संयुक्त परिवार दिवस के रूप में माना जाता है। इस कलयुग में घर का मुखिया नील कंठ ही होता है। परिवार को एक रखने में मुखिया को कितने कड़वे घुट पीने पड़ते हैं।
मस्तक पर चंद्रमा-शीतलता (MahaShivratri 2024)
जैसा कलयुग में कहा जाता है कि इंसान को ह्रदय में फायर फैक्ट्री, जुबान पर शुगर, फैक्ट्री दिमाग पर आइस फैक्ट्री लगा कर रखना चाहिए। अगर उसको हर क्षेत्र में सफल होना हो तो। शिव जी के मस्तक पर चंद्रमा कितनी भी विषमता हो जीवन में दिमाग को शीतल ही रखना चाहिए यह संदेश देता है।
गले में नर मुंड माला-विश्वास (MahaShivratri 2024)
गले में नर मुंड माला यह संदेश देती है आपके हर जन्म की कहानी शिव जी के पास है, जो शिव नाड़ी विद्या के माध्यम से आसानी से अंगूठे की चाप से जानी जा सकती है, क्योंकि हर इंसान की फिंगर प्रिंट अलग अलग होती है।
त्रिशूल- संतुलन रखना (MahaShivratri 2024)
आयुर्वेद में शरीर के तीन दोष बताए गए हैं- वात, पित्त ,कफ जिससे काम ईर्ष्या क्रोध जो आज इंसान के दुख का कारण है। इन तीनों को संतुलित रखना शिव जी का त्रिशूल यह संदेश देता है, जिसका उल्लेख कलयुग पुराण में दिया है।