Khabarwala 24 News New Delhi : Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगभग 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है और इसका समापन 26 फरवरी को होगा। गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए इस बार 40 करोड़ श्रद्धालु शामिल हो सकते हैं।
महाकुंभ में बड़ी संख्या में साधु-संत संगम में पवित्र स्नान करने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। हर बार कुंभ में आने वाले नागा साधु लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं। नागा साधुओं की वेशभूषा और खानपान आम लोगों से बिल्कुल अलग होता है। पुरुषों के समान ही महिला नागा साधू भी होती हैं। महिला नागा साधू भी अपने जीवन को पूर्णरूप से ईश्वर को समर्पित कर देती हैं और इनकी दुनिया भी एकदम अलग और विचित्र होती है।
नागा साधु की रहस्यमयी दुनिया (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया के बारे में ज्यादातर लोगों को पता होता है, लेकिन महिला नागा साधु का जीवन सबसे अलग होता है। महिला नागा साधु गृहस्थ जीवन से दूर हो चुकी होती हैं। इनके दिन की शुरुआत और अंत दोनों पूजा-पाठ के साथ ही होती है। महिला नागा साधु का जीवन कई तरह की कठिनाइयों से भरा होता है। महिला नागा साधुओं को दुनिया से कोई मतलब नहीं होता है।
महिला नागा साधु कौन बनाता है? (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
महिला नागा साधु बनने के बाद सभी साधु-साध्वियां उन्हें माता कहती हैं। माई बाड़ा में महिला नागा साधु होती हैं, जिसे अब दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा कहा जाता है। साधु-संतों में नागा एक पदवी होती है। साधुओं में वैष्णव, शैव और उदासीन संप्रदाय हैं। इन तीनों संप्रदायों के अखाड़े नागा साधु बनाते हैं। नागा साधुओं के बिना कुंभ की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कुंभ मेले में अघोरी और नागा साधुओं की चर्चा बनी रहती है।
महिला नागा साधु कैसे बनती हैं? (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को नग्न रहने की इजाजत नहीं होती है। पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और दिगंबर (निर्वस्त्र) दो तरह के नागा साधु होते हैं। सभी महिला नागा साधु वस्त्रधारी होती हैं। महिला नागा साधुओं को अपने माथे पर तिलक लगाना जरूरी होता है, लेकिन महिला नागा साधु गेरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहनती हैं, जो सिला हुआ नहीं होता है। महिला नागा साधु के इस वस्त्र को गंती कहा जाता है।
नागा साधु बनने की प्रक्रिया कठिन (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया काफी कठिन होती है और इनका जीवन भी बेहद कठिन होता है। नागा साधु बनने कि लिए महिलाओं को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ता है। नागा साधु या संन्यासनी बनने के लिए 10 से 15 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। नागा साधु बनने के लिए गुरु को विश्वास दिलाना पड़ता है कि वह नागा साधु बनने के लिए योग्य हैं और खुद को ईश्वर के प्रति समर्पित कर चुकी हैं। इसके बाद गुरु ही नागा साधु बनने की स्वीकृति देते हैं।
नागा साधु बनने से पहले मुंडन (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
संन्यासी बनने के बाद महिला नागा साधु बनने के अंतिम चरण तक पहुंचने में लगभग 10 साल तक का समय लग सकता है। नागा साधु बनने से पहले महिला की बीते जीवन को देखकर यह पता किया जाता है कि वह ईश्वर के प्रति समर्पित है या नहीं और वह नागा साधु बनने के बाद कठिन साधना कर सकती है या नहीं। नागा साधु बनने से पहले महिला को जीवित रहते ही अपना पिंडदान करना होता है और मुंडन भी कराना पड़ता है।
महिला नागा साधु क्या करती हैं? (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
मुंडन कराने के बाद महिला को नदी में स्नान कराया जाता है और फिर महिला नागा साधु पूरा दिन भगवान का जप करती हैं। पुरुषों की तरह ही महिला नागा साधु भी शिवजी की पूजा करती हैं। सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठकर शिवजी का जाप करती हैं और शाम को दत्तात्रेय भगवान की आराधना करती हैं। दोपहर में भोजन के बाद फिर वह शिवजी का जाप करती हैं।
कहां रहती हैं? क्या खाते हैं? (Mahila Naga Sadhu Mahakumbh 2025)
नागा साधु खाने में कंदमूल फल, जड़ी-बूटी, फल और कई तरह की पत्तियां खाते हैं। नागा साधु के समान ही महिला नागा साधु भी यही चीजें खाती है। कुंभ मेले दौरान नागा साधुओं के समान महिला नागा साधु शाही स्नान करती हैं। महिला नागा साधु के रहने के लिए अलग-अलग अखाड़ों की व्यवस्था की जाती है। हालांकि, पुरुष नागा साधु के स्नान करने के बाद वह नदी में स्नान करने के लिए जाती हैं। अखाड़े की महिला नागा साध्वियों को माई, अवधूतानी कहा जाता है।