Khabarwala 24 News New Delhi : Mahila Naga Sadhu Niyam महिला नागा साधुओं की दुनिया एक रहस्यमयी और कठोर जीवनशैली की मिसाल है, जिसमें सख्त नियम और प्रतिबंध होते हैं। नागा साधु भारतीय संत समुदाय का एक ऐसा हिस्सा हैं, जो विशेष रूप से अपने कठोर तप और भौतिक वस्तुओं से दूर रहने के लिए प्रसिद्ध हैं।
इन नियमों के बावजूद, महिला नागा साधु एक निश्चित आदर्श और उद्देश्य के साथ समाज से अलग होकर अपने साधना जीवन को जीती हैं। उनकी उपस्थिति भारतीय साधु संस्कृति की विविधता को और गहरे से समझने का एक अवसर प्रदान करती है और यह साबित करती है कि आध्यात्मिकता के क्षेत्र में महिला भी पुरुषों के समान महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
महिला नागा साधुओं के सख्त नियम (Mahila Naga Sadhu Niyam)
वस्त्र पहनने के नियम (Mahila Naga Sadhu Niyam)
महिला नागा साधुओं को एक विशेष प्रकार का गेरुआ रंग का कपड़ा पहनने की अनुमति होती है, जो बिना सिला होता है। इस कपड़े में एक ही गांठ होती है, जो यह प्रतीक होती है कि वह अपने शरीर को ढकने के लिए इसे पहनती हैं। हालांकि, यह कपड़ा केवल उनके निजी क्षेत्र (अखाड़े) में पहना जा सकता है।
सार्वजनिक है पाबंदी (Mahila Naga Sadhu Niyam)
महिला नागा साधु अपने अखाड़े में नग्न रह सकती हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर नग्न अवस्था में आना उनके लिए निषिद्ध है। यह नियम उनके सम्मान और सुरक्षा की दृष्टि से है, क्योंकि समाज में महिलाओं के नग्न रूप को लेकर अलग-अलग धारणाएँ और पूर्वाग्रह होते हैं।
साध्वी माता की दीक्षा (Mahila Naga Sadhu Niyam)
जब कोई महिला नागा साधु के रूप में दीक्षा प्राप्त करती है, तो उसे एक नई पहचान मिलती है। साधु के रूप में दीक्षा लेने के बाद, पुरुष साधु सहित सभी साधु उसे “माता” कहकर संबोधित करते हैं। यह सम्मानित उपाधि उसे एक विशेष स्थिति प्रदान करती है, जहां समाज से अलग होकर तप और साधना में रत रहती है।
कुंभ और महाकुंभ (Mahila Naga Sadhu Niyam)
महिला नागा साधु कुंभ और महाकुंभ के दौरान सार्वजनिक रूप से दिखाई देती हैं। उनके दर्शन के लिए लाखों भक्त इकट्ठे होते हैं, और यह समय महिला नागा साधुओं के लिए समाज में उपस्थिति दर्ज करने का होता है। इसके बाद अखाड़े में या जंगलों में चली जाती हैं, जहां वे अपने साधना जीवन में लीन रहती हैं।
विदेशी महिलाएं भी (Mahila Naga Sadhu Niyam)
महिला नागा साधुओं में विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं, जिनमें विशेष रूप से नेपाल की महिलाएं सबसे अधिक होती हैं। नेपाल से आने वाली महिलाएं भारतीय साधु परंपरा को अपनाकर महिला नागा बनती हैं। ये महिलाएं भारतीय संस्कृति में कठोर जीवन को अपनाकर आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का प्रयास करती हैं।
महिला नागा साधु बनने का उद्देश्य (Mahila Naga Sadhu Niyam)
इन साधुओं का मुख्य उद्देश्य आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति है और इसके लिए वे दुनिया से कटकर कठिन साधनाएँ करते हैं। यह दुनिया मुख्य रूप से पुरुषों द्वारा शासित मानी जाती रही है, लेकिन महिला नागा साधुओं की उपस्थिति इस दुनिया को और भी रहस्यमयी और दिलचस्प बनाती है। महिला नागा साधुओं के बारे में बहुत कुछ जानने के लिए यह जरूरी है कि हम उनके नियमों और परंपराओं को समझें। महिला नागा साधु बनने का निर्णय एक गहरे आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो महिला साधुओं की भूमिका और आज़ादी को नियंत्रित करती हैं।
आध्यात्मिक साधना (Mahila Naga Sadhu Niyam)
कई महिलाएं जीवन के उच्च उद्देश्य की तलाश में होती हैं और वे साधना के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहती हैं। नागा साधु बनने से वे दुनिया की क्षणिक मोह-माया से दूर हो सकती हैं और एक तपस्वी जीवन जी सकती हैं।
समाज से अलगाव (Mahila Naga Sadhu Niyam)
महिला नागा साधु अक्सर समाज से अलग होकर एक स्वतंत्र जीवन जीना चाहती हैं। यह जीवन उन्हें अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का अहसास कराता है। महिला नागा साधुओं की दुनिया अज्ञेय है, इसमें सख्त नियम और प्रथाएँ शामिल हैं।
प्रतिबद्ध साधना (Mahila Naga Sadhu Niyam)
महिला नागा साधु बनने के बाद, वे केवल आध्यात्मिक उद्देश्य को प्राथमिकता देती हैं और अपने जीवन को तप, ध्यान, और साधना में समर्पित करती हैं। यह एक ऐसा जीवन है जिसमें बाहरी दुनिया के आकर्षण से कोई लेना-देना नहीं होता।