Khabarwala 24 News New Delhi : Makar Sankranti 2024 सूर्य आराधना और स्नानदान का पर्व मकर संक्रांति इस बार भी 15 जनवरी को है। इसी तरह इस साल भी संक्रांति 15 जनवरी को सुबह 9:24 बजे आएगी, यानि संक्रांति सुबह सूर्योदय के बाद अर्की होगी, इसलिए इसका विशेष पुण्यकाल सुबह 9.24 बजे के बाद पूरे दिन रहेगा। हालांकि अगले साल 14 जनवरी को संक्रांति मनाई जाएगी, इसके बाद अक्सर 14 जनवरी को संक्रांति अर्की होगी और 15 को मनाई जाएगी। वर्ष 2000 के पहले अक्सर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 13 जनवरी की मध्यरात्रि में होता था और 14 जनवरी को यह पर्व मनाया जाता था। अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति 14 जनवरी की मध्यरात्रि में आती है और 15 को पर्वकाल मनाया जाता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। वाहन, उपवाहन सहित संक्रांति के स्वरूप के लिहाज से इस बार विशेष शुभकारी होगी। बीते तीन सालों से लगातार संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई है।
शुभ फलदायी होगी पौष माह की मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024)
इस बार पौष माह की मकर संक्रांति रहेगी। इस लिहाज से संक्रांति विशेष शुभफलदायी रहेगी। जिस हिसाब से संक्रांति का स्वरूप है, उसके हिसाब से जनता की सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी। मंहगाई नियंत्रण में रहेगी और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। राजनीतिक क्षेत्र में कुछ परिवर्तन के साथ उन्नति होगी। मंगल कार्य होंगे। चोर, पाखंडी, दुर्जन दंड पाएंगे। गौसेवा के प्रति लोगों की जागरुकता बढ़ेगी। इसके साथ ही अनाज का उत्पादन अच्छा होगा, रोगों के निवारण के लिए विशेष कार्य होंगे।
हर तीन वर्ष में एक घंटा बढ़ जाता है संक्रांति काल (Makar Sankranti 2024)
मकर संक्रांति 14 जनवरी की रात्रि में आएगी और 15 जनवरी को मनाई जाएगी। पिछले कुछ सालों से अब संक्रांति 14 जनवरी की मध्यरात्रि में ही आती है और 15 जनवरी को ही पर्वकाल मनाया जाता है। आगे के सालों में भी मकर संक्रांति अधिकांश समय 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी। दरअसल, हर 70 साल के बाद संक्रांति पर्व एक दिन आगे बढ़ जाती है। जिस प्रकार हर तीन साल में मलमास के कारण एक माह बढ़ जाता है, उसी प्रकार हर तीन वर्ष में संक्रांति काल एक घंटे बढ़ जाता है। इस तरह 70 से 80 साल में एक दिन बढ़ जाता है।
ऐसे रहेगा संक्रांति स्वरूप (Makar Sankranti 2024)
वाहन – अश्व
उपवाहन – सिंह
वस्त्र – कृष्ण वस्त्र
पत्ते का पात्र
विप्र वर्ण
हल्दी का लेपन
दुर्वा और पुष्पों से सुज्जजित
गूंजा के आभूषण
नीले रंग की कंचुकी
उत्तर में गमन
ईशान में दृष्टि