Khabarwala 24 News New Delhi : Mohan Bhagwat Birthday Special राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत आज 74 वर्ष के हो गए। पशुचिकित्सक से लेकर सरसंघचालक तक का मोहन भागवत का सफर बेहद ही दिलचस्प है। उनका जन्म वर्ष 1950 को महाराष्ट्र के चंद्रपुर में हुआ था।
Mohan Bhagwat Birthday Special माेहन भागवत के नाम माधवराव सदाशिव गोलवलकर के बाद सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सरसंघचालक का रिकार्ड दर्ज है। 2009 में उन्हें सिर्फ 59 की उम्र में संघ की कमान मिली थी। वे अपने बयानों के लेकर आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं। कभी हिंदू राष्ट्र की बात तो कभी बीजेपी को नसीहत देने वालों उनके बयानों ने सियासी गलियारों में भूचाल मचाया।
आएसएस से तीन पीढ़ी का नाता (Mohan Bhagwat Birthday Special)
Mohan Bhagwat Birthday Special भागवत के परिवार का आएसएस से तीन पीढ़ी का नाता है। उनके दादा नारायण भागवत संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के सहपाठी हुआ करते थे। 1925 में संघ की स्थापना के बाद नारायण भागवत ने संघ का काम शुरू किया था।
Mohan Bhagwat Birthday Special नारायण भागवत के मोहन भागवत के पिता मधुकर भागवत भी संघ के प्रचारक रह चुके हैं। भागवत के पिता और दादा दोनों वकील थे। 11 सितम्बर 1950 को महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे मोहन भागवत ने 12वीं तक अपनी पढ़ाई चंद्रपुर से की है। इसके बाद उन्होंने अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख वेटनरी कॉलेज में दाखिला ले लिया। चंद्रपुर में ही पशुपालन विभाग में वेटनरी ऑफिसर नौकरी की।
आपातकाल में माता-पिता गए जेल (Mohan Bhagwat Birthday Special)
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल के बाद मोहन भागवत के माता-पिता को जेल में डाल दिया गया। इसी दौरान भागवत भी संघ के प्रचारक बने। आपातकाल के दौरान वो अज्ञातवास में रहे। 1977 के बाद उन्होंने संघ में तेजी से तरक्की की। 1991 में उन्हें संघ में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख का कार्यभार दिया गया है। वे इस पद पर 1999 तक रहे। साल 2000 में तत्कालीन सरसंघचालक रज्जू भैया और सरकार्यवाह वीएन शेषाद्री ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद को छोड़ने की घोषणा की है। रज्जू भैया की जगह के.एस. सुदर्शन को नया सरसंघचालक चुना गया जबकि मोहन सरकार्यवाह बने।
सबसे पहले बीजेपी का कायाकल्प (Mohan Bhagwat Birthday Special)
लोकसभा चुनाव 2009 के दौरान 21 मार्च 2009 को अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मोहन भागवत सरसंघचालक बनाया गया। सुदर्शन अपने सरसंघचालक के दायित्व से स्वास्थ्य कारणों के चलते मुक्त हो रहे थे। संघ प्रमुख बनते ही उन्होंने सबसे पहले बीजेपी का कायाकल्प किया। लगातार दो चुनाव हार चुकी बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में नितिन गडकरी की ताजपोशी हुई। 2013 में संघ ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को सहमति दी जिनके नेतृत्व ने बीजेपी ने लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में बहुमत का आंकड़ा पार किया है।
बीजेपी और आरएसएस में दरार (Mohan Bhagwat Birthday Special)
2024 के लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि भाजपा अब उस स्थिति से आगे निकल चुकी है। जब उसे आरएसएस की ज़रूरत थी। अब बीजेपी अपने दम पर पूरी तरह सक्षम है और अपना काम अपने मुताबिक चलाती है। इसके बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बीजेपी पर कड़े शब्दों में प्रहार किया था। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चुनाव नतीजों के बाद एक बयान में कहा कि “जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है। वह गर्व तो करता है, लेकिन अहंकार नहीं करता। सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है।” सरसंघचालक यहीं नहीं रुके, मणिपुर का जिक्र करते हुए सरकार को नसीहत भी दी।