Khabarwala 24 News New Delhi: Mughal emperor babur देश में तापमान रिकॉर्ड बना रहा है। राजस्थान का फलौदी में पारा 51 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। यह आज की गर्मी का हाल है, लेकिन हिन्दुस्तान में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले बाबर ने मौसम का जो हाल बयां किया है वो दिलचस्प है। मुगल बादशाह ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में यहां की गर्मी का जिक्र करते हुए लिखा है कि हिन्दुस्तान में मुझे तीन चीजों ने परेशान किया। पहली थी यहां की गर्मी, दूसरी कड़कडाती ठंडी हवा और तीसरी धूल।
निजी बगीचे तक बनवा डाले। (Mughal emperor babur)
Mughal emperor baburअपनी दूसरी पीढ़ियों के मुकाबले बाबर को भले ही कम शासन करने का मौका मिला, लेकिन गर्मी से बचने के लिए तरह-तरह की कोशिशें की। कई तरह के निर्माण कराए। निजी बगीचे तक बनवा डाले।
गर्मी और बाबर की कोशिशें (Mughal emperor babur)
Mughal emperor babur बाबर ने गर्मी, धूल और कड़कड़ाती ठंडी हवा से बचने के लिए सबसे पहले महल में बाथहाउस बनवाए। मुगल बादशाह का मानना था कि यह उन्हें तीनों चीजों से बचा सकता है। इसकी मोटी दीवारें के कारण गर्मी में ठंडी रहती थीं। मौसम के हिसाब से पानी उपलब्ध कराया जाता था। आगरा में कुछ समय बिताने के दौरान यमुना नदी को पार करते वक्त बाबर को यह ख्याल आया था।
Mughal emperor babur ठंडी से बचने के लिए पत्थरों से बाथचेम्बर बनाए गए थे। इसके दो हिस्से थे। पहले हिस्से में गर्म पानी रहता था। दूसरे हिस्से का इस्तेमाल नहाने के लिए किया जाता था। इसे सफेद पत्थरों से बनाया गया था। वहीं, छत और जमीन के लिए लाल पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था, जिसे राजस्थान के बयाना से मंगाया गया था। गर्मी का हल ढूंढते हुए बाबर ने महल के एक हिस्से में बगीचे और तालाब बनाने का फरमान जारी किया था।
बावड़ी बनाना नहीं था आसान, दब गए थे मजदूर (Mughal emperor babur)
Mughal emperor babur किले के अंदर इमारत और प्राचीर के बीच एक खुली जगह थी, वहां दस बाय दस की एक बड़ी बावड़ी बनाने का आदेश दिया। इस दौरान मानसून भी आ गया। नतीजा, कई बार यह धंस गई। मजदूर दब गए। इस पानी का इस्तेमाल कई कामों में किया जाता था।इसके ठीक बगल में एक और कुआं बनवाया गया। दूसरे कुएं को पहले के मुकाबले काफी गहरा खोदा गया था। यहां बाकायदा वाटर व्हील्स लगवाए गए थे, जिसकी मदद से पहली बावड़ी से दूसरी में पानी पहुंचाया जाता था। यहां से ठंडा पानी बगीचे और दूसरी जगहों तक पहुंचाने की व्यवस्था बनाई गई। इसके अंदर जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया गया था। यहां के ठंडे पानी को बाबर के बाथहाउस तक पहुंचाया जाता था।
Mughal emperor babur बाथहाउस को बनाने के बाद बाबर ने अपने लिए अलग से निजी बगीचों का निर्माण कराया जहां हर कोई इंसान नहीं पहुंच सकता था।इन बगीचों के हर कोने पर गुलाब और नरगिस के फूल लगाए गए थे।
हवादार कमरों वाले महल (Mughal emperor babur)
Mughal emperor babur मुगलों को अलग तरह के आर्किटेक्चर वाले निर्माण के लिए भी जाना गया। हिन्दुस्तान की गर्मी को देखते हुए इनके आर्किटेक्चर में भी बदलाव किए गए थे। इनके दौर में ऐसे महल बनवाए गए जहां सीधे तौर पर सूरज की रोशनी न पहुंचे। महलों में हवा पहुंच सके, इसके लिए पत्थर की दीवारें जालीनुमा बनाई गई थी। पत्थर की जालीदार खिड़कियों के कई फायदे थे। बाहर का शख्स अंदर नहीं देख पाता था और अंदर तक पहुंचते हुए हवा की तासीर बदल जाती है। यह ठंडी हो जाती थी।