NIKAY CHUNAV Khabarwala24News LUCKNOW: बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री Mayawati मायावती ने नगर निगम का भी चुनाव निकाय चुनाव चुनाव इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से ना कराके इसे भी सीधे तौर पर बैलेट पेपर से ही कराए जाने की मांग उठाई। इसके साथ ही उम्मीद जताई की यूपी सरकार व निकाय सम्बन्धित अधिकारी यह चुनाव पूरे तौर से फ्री एण्ड फेयर कराएंगे। नगर निकाय चुनाव घोषित होने पर स्वागत भी किया।
बसपा पूरी तैयारी और दमदारी के साथ लड़ेगी चुनाव
मायावती Mayawati ने कहा कि हमारी पार्टी बी.एस.पी. ने यह चुनाव पूरी तैयारी व दमदारी के साथ लड़ने का फैसला लिया है ताकि प्रदेश में नगर निकाय स्तर पर सही लोग चुनकर जा सकें। तभी फिर वे सर्वसमाज में से विशेषकर गरीबों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के हितों का हर मामले में प्राथमिकता के आधार पर पूरा-पूरा ध्यान रख सकें। क्योंकि बी.एस.पी. ही इन वर्गों के हितों के मामले में केवल एकमात्र ऐसा मंच व प्लेटफार्म है जो बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा एवं मूवमेन्ट से जुड़कर इन वर्गों के हितों में पूरी ईमानदारी व निष्ठा से लगी हुई है। जिसके लिए बी.एस.पी. के जन्मदाता एवं संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी ने अपनी पूरी जिन्दगी समर्पित की तथा जिसे कतई भी कभी नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है तथा अब मेरे नेतृत्व में यह पार्टी इन तमाम वर्गों के लोगों को अपने पैरो पर खड़ा करने के लिए बराबर संघर्षशील व कटिबद्ध भी है
आरक्षण में काफी नियमों को ताक पर रखा गया
BSP बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यहाँ खास ध्यान देने की बात यह भी है कि इस चुनाव में एससी, एसटी, ओबीसी तथा महिलाओं आदि के लिए जो आरक्षण की व्यवस्था की गई है उससे इन वर्गों के लोग पूरे तौर से सहमत नहीं हैं। क्योंकि इस चुनाव में इन लोगों के लिए आरक्षण की जो भी सीटें आरक्षित की गई हैं उसमें काफी नियमों को ताक पर रख दिया गया है, जिससे यह जाहिर होता है कि यहाँ सत्ताधारी पार्टी BJP बीजेपी इस चुनाव में हर स्तर पर अपना राजनैतिक स्वार्थ साधने में ही लगी है ताकि इसका काफी कुछ फायदा, इसके बाद देश में होने वाले लोकसभा के आमचुनाव में इस पार्टी को यहाँ मिल सके। लेकिन यहाँ विशेष ध्यान देने की बात यह भी है कि यहाँ के गरीबों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनायें तथा बेरोज़गारी के इस दौर में दैनिक मजदूरी करके अपना पेट पालने की योजनाओं के धन में भी कटौती व भुगतान में देरी आदि करके जो यहाँ स्थानीय रोजगारों की दुर्दशा बना दी गई है, वह भी किसी से छिपा नहीं है।
जागरूक, योग्य व ईमानदार जनप्रतिनिधि चुनने की जरूरत, सावधानी बरतने की दी सलाह
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए यहाँ Nikay निकाय स्तर पर जागरूक, योग्य व ईमानदार जनप्रतिनिधि चुनने की जरूरत हैं जिसमें खासकर गरीबों, दलितों, पिछड़ों एवं अन्य उपेक्षित वर्गों तथा अक्लियतों आदि को भी अपनी अहम भूमिका निभानी होगी, जिनके कुल मिलाकर वोट यहाँ काफी ज्यादा बन जाते हैं और इनको इस चुनाव में भी विरोधी पार्टियों के सभी साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से सावधानी बरतते हुये व खासकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के किसी भी दबाव व लालच आदि में ना आकर अपना वोट करना है।
इसके साथ ही, यदि ये नगर NIKAY CHUNAV निकाय के चुनाव सरकारी द्वेष, पक्षपात व अनुचित दखलन्दाजी आदि से मुक्त एवं पाक-साफ होकर चुनाव की प्रक्रिया को सही से लागू करके कराये गये, तो फिर इसका चुनाव का महत्त्व खासकर यूपी के नगर विकास व यहाँ के लोगों की उन्नति व स्थानीय स्तर पर रोटी-रोजी में भी काफी सहायक सिद्ध हो सकता है। लेकिन ऐसा यहाँ अब तक होता हुआ बहुत कम ही देखने को मिलता है। फिर भी इस लक्ष्य (उद्देश्य) की प्राप्ति के लिए सावधानी व समझदारी का सामूहिक प्रयास जारी रखना बहुत जरूरी है। यही वक्त की माँग है तथा यहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था का तकाजा भी है।
भाजपा औऱ सपा पर साधा निशाना
इसके इलावा, यह भी सर्वविदित है कि विरोधी पार्टियों में भी विशेषकर BJP के लोग, SP सपा राज की तरह ही इसbsp NIKAY CHUNAV चुनाव को किस प्रकार से चुनौतीपूर्ण लेकर अनेकों प्रकार के हथकण्डे अपनाने तथा हर प्रकार के जोड़तोड़ आदि करने में ही लगे हैं, जिसके तहत् अब यहाँ इनकी संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की खातिर पसमान्दा मुस्लिम समाज का राग आपना भाजपा व आरएसएस एण्ड कम्पनी का नया शिगुफा बनकर लोगों के सामने आ रहा है, जबकि मुस्लिम समाज वास्तव में पहले मुसलमान हैं तथा उनके प्रति भाजपा की सोच, नीति, नीयत एवं उनका ट्रैक रिकार्ड कितना द्वेषपूर्ण व घातक है यह किसी से भी छिपा हुआ नहीं है।
साथ ही, भाजपा की मुस्लिम समाज के प्रति निगेटिव सोच का ही परिणाम है कि इनकी सरकार में भी ये लोग लगभग उतने ही गरीब, पिछड़े, त्रस्त एवं जान-माल व मजहब आदि के मामलों में भी अपने आपको वैसा ही असुरक्षित महसूस करते हैं जितने वे CONGRESS कांग्रेस पार्टी के राज में थे। इस प्रकार मुस्लिम समाज का, दलितों एवं अति पिछड़ों की तरह ही, पसमान्दा व उपेक्षित बने रहना अति- दुःखद ही नहीं बल्कि अति-दुर्भाग्यपूर्ण भी है।