khabarwala24News Nikay Chunavः उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव 2023 में समाजवादी पार्टी (samajwadi party) ने अपनी रणनीति बदल दी है। नई रणनीति के तहत शतरंज की एेसी चाल चली है जिससे सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। अभी तक समाजवादी पार्टी मुस्लिमों व यादवों के गठजोड़ के फार्मूले पर अधिक काम करती थी। इसलिए सपा को मुस्लिम और यादव को तरजीह देने वाली पार्टी माना जाता था, लेकिन इस बार के नगर निकाय चुनाव में महापौर पद पर उसने ब्राह्रमण व मुस्लिम प्रत्याशियों पर ज्यादा दांव लगाया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दो-दो दलित और कायस्थ प्रत्याशी उतारा है। वहीं यादव प्रत्याशी न उतारने के आरोप लगने पर गाजियाबाद में नीलम गर्ग के स्थान पर पूनम यादव को अपना महापौर पद का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है।
2024 लोकसभा चुनाव के देखते हुए सोशल इंजीनिरिंग का रखा पूरा ध्यान
भाजपा (BJP)और बसपा (BSP)ने जहां Nikay Chunav में महापौर के अपने 10-10 प्रत्याशी घोषित किए हैं, वहीं सपा ने सभी 17 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनावी रणभूमि में उतार दिए हैं। इससे साथ साथ सपा ने टिकट वितरण में आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए सोशल इंजीनियरिंग का भी पूरा ख्याल रखा है।
इन सीटों से ब्राह्मण, मुस्लिम, दलित, कास्थ प्रत्याशी उतारे
लखनऊ, कानपुर, अयोध्या और मथुरा-वृंदावन नगर निगम में महापौर पद के लिए ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। इनमें से कुछ टिकट तो ऐसे हैं, जो सिर्फ भावी राजनीतिक संदेश देने के लिए ही दिए गए हैं। मुरादाबाद, अलीगढ़, फिरोजाबाद और सहारनपुर में मुस्लिम प्रत्याशी दिए हैं। इन नगर निगमों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। राजनीति के पंडित सपा के वहां मुस्लिम प्रत्याशी उतारने के फैसले को सही ठहरा रहे हैं। हालांकि, जीत-हार तो अन्य समीकरणों पर भी निर्भर करेगी।
आगरा व झांसी में दलित प्रत्याशी देकर सपा ने स्पष्ट किया है कि उसकी रणनीति बसपा के नजदीक आने की नहीं है, बल्कि उसके वोट बैंक माने जाने वाले दलितों को अपने साथ लाने की है। आम तौर पर कायस्थ भाजपा के वोट बैंक माने जाते हैं, पर बरेली से संजीव सक्सेना को टिकट देकर कायस्थ समाज के बीच भी पैठ बनाने का प्रयास किया है। प्रयागराज में भी यही प्रयोग किया है। इसके अलावा एक-एक गुर्जर, कुर्मी और क्षत्रिय प्रत्याशी उतारकर सामाजिक समीकरण साधने का प्रयास किया है।
सपा के नए फार्मूले पर सभी की निगाह टिकी
सपा के Nikay Chunav में महापौर पद पर कहीं से यादव प्रत्याशी न उतारने पर इसके खिलाफ सोशल मीडिया पर जमकर शोरशराबा हुआ। गाजियाबाद में प्रत्याशी का बदलना शायद इसी का नतीजा है। राजनीकि के जानकार बताते हैं कि सपा की मेयर पद की सूची देखने से लगता है कि पार्टी की नजर निकाय चुनाव से ज्यादा लोकसभा चुनाव पर लगी है। सामाजिक न्याय की धुर सर्मथक सपा को सामान्य वर्ग से भी कोई परहेज नहीं है। सपा के नए फार्मूले पर अन्य राजनैतिक दलों के नेता भी निगाह लगाए हुए हैं।