Khabarwala 24 News New Delhi : Om Chant Secrets ओम को अनंत शक्ति का प्रतीक और ब्रह्माण्ड का सार माना गया है। ओम को ब्रह्माण्ड की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी ध्वनियों में शामिल किया गया है। इसमें ब्रह्माण्ड का रहस्य छिपा है। ओम के उच्चारण व जाप से धर्म, कर्म, अर्थ ओर मोक्ष की प्राप्ति होती है. ओम की ध्वनि शाश्वत है इसे किसी ने बनाया नहीं है इसीलिए इसे अनहद नाद भी कहते हैं। मान्यता है कि ओम में ‘अ’ से आदि कर्ता ब्रह्मा, उ से विष्णु और म से महेश यानि शिव का बोध होता है। ओम के उच्चारण से गले में स्थित थायराइड ग्रंथि में कंपन होता है जिसका सकारात्मक असर पड़ता है। आइए जानते हैं ओम का रहस्य (Secret of the universe is contained in OM) और इसका महत्व…
शास्त्रों में ओम (Om Chant Secrets)
जब हम ओम का उच्चारण करते हैं तो तीन अक्षरों की ध्वनि निकलती है। ये तीन अक्षर अ,उ और म हैं। इन तीनों अक्षरों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है। मांडूण्य उपनिषद में कहा गया है कि ब्रह्माण्ड में वर्तमान, भविष्य और भूतकाल से परे जो हमेशा मौजूद रहता है वह ओम है। खगोलविदों के अनुसार ब्रह्माण्ड में ओम की ध्वनि निरंतर सुनाई पड़ती है। ओम में ही ब्रह्माण्ड का रहस्य निहित है।
निहित है तन्मात्रा (Om Chant Secrets)
सनातन धर्म में प्रकृति को पंचभूतों की श्रृंखला की संज्ञा दी गई है. ये पंच महाभूत अग्नि, वायु, आकाश, जल और धरती हैं. मांडूक्य उपनिषद में तन्मात्रा का महत्व बताया गया है. तन्मात्रा को चेतना का पूंज बताया गया है जिसके माध्यम से प्रकृति, प्राणी ओर जीवन ऊर्जावान हैं. तन्मात्रा ओम में निहित है.
ओम ही ब्रह्म (Om Chant Secrets)
यजुर्वेद में कहा गया है ओम ब्रह्म है और ओम सर्वत्र व्याप्त है। ओंकार तीन गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। इनमें सात्विक, राजसी और तामसी गुण शामल हैं। ओम को इत्येत् अक्षर यानि अविनाशी, अव्यय और क्षरण रहित बताया गया है। ओम के उच्चारण से मन से चिंता और तनाव दूर होते हैं। इसके उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। गीता में बताया गया है कि किसी भी मंत्र के पहले ओम के उच्चारण से पुण्य प्राप्त होता है।