Khabarwala24 News New Delhi : OMG क्या आपको पता है कि भारत में एक जगह ऐसी भी है जहां लोग चप्पल, जूते नहीं पहनते हैं और न ही अस्पताल जाते हैं। आपको आपको अब भी यकीन नहीं आ रहा तो आपको बताते हैं अगर इस गांव में अधिकारी या जनप्रतिनिअधि को भी आना पड़े, तो उन्हें भी जूते-चप्पल गांव के बाहर ही उतारने पड़ते हैं। वहीं यहां के निवासी गांव के भीतर हों या बाहर नंगे पांव ही रहते हैं।
बाहर से आने वाले को भी उतारने पड़ते हैं जूते चप्पल
आपको बता दें कि अगर लोगों को कहीं बहुत दूर तक जाना पड़े, तब भी वो चप्पल-जूते नहीं पहनते। ये गांव कई मायनों में देश के बाकी गावों से अलग है। इसका नाम वेमना इंदलू (Vellagavi)है। यह आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh)में तिरुपति से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के सरपंच का कहना है कि जब से ये लोग गांव में बसे हैं, तभी से एक परंपरा है कि गांव में अगर कोई बाहर से आए, तो बिना नहाए-धोए प्रवेश नहीं करेगा।
गांव की आबादी है अशिक्षित
तिरुपति जिले के पाटला मंडल के इस छोटे से गांव में 25 परिवार रहते हैं। गांव की कुल आबादी 80 लोगों की है। अधिकतर आबादी अशिक्षित है और कृषि पर निर्भर है। गांव के नियमों और परंपराओं का पालन ग्रामीणों के रिश्तेदारों को भी करना पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार, गांव के लोग खुद को पलवेकरी जाति से जुड़ा बताते हैं। साथ ही अपनी पहचान दोरावारलू के रूप में करते हैं। इन्हें पिछड़े वर्ग में वर्गीकृत किया गया है।
अस्पताल नहीं जाते
गांव के लोग भगवान वेंकटेश्नर की पूजा करने के लिए तिरुमाला भी नहीं जाते बल्कि गांव के भीतर ही पूजा करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह किसी अस्पताल में नहीं जाते क्योंकि उन्हें भरोसा है कि ईश्वर सब संभाल लेंगे। लोग नीम के पेड़ की परिक्रमा कर लेते हैं। पर अस्पताल नहीं जाते। बीमार पड़ने पर भी मंदिर की परिक्रमा कर लेते हैं।
बताया गया कि लोग घर पर ही सब कुछ कर लेते हैं। गर्भवती महिला तक को अस्पताल लेकर नहीं जाते। न ही किसी को बाहर से आने देते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चे दोपहर के खाने के लिए भी घर आते हैं, वो मिड डे मील नहीं खाते। खाना खाने के बाद दोबारा स्कूल जाते हैं। इसका कारण यह बताया गया है कि वह लोग गांव के बाहर कुछ खाते भी नहीं हैं।