Khabarwala 24 News New Delhi: Patna Shuklla Review एक आदमी कच्छा सिलवाता है, दर्जी डेढ़ मीटर कपड़े की जगह 1 मीटर इस्तेमाल करता है, और वो आदमी दर्जी पर केस कर देता है कि कच्छा टाइट सिला है और इस वजह से जब कोई चोर उसकी बीवी का पर्स छीनकर भाग रहा होता है तो वो उसे पकड़ नहीं पता, उसका केस लड़ती है तन्वी शुक्ला यानि रवीना टंडन जिन्हें उसके घरवाले और बाकी लोग वकील ही नहीं मानते, हाउसवाइफ मानते हैं, ये मानते हैं कि इनकी जिंदगी दलीलों में नहीं दालों में ही सही है, ऐसी वकील जब एक ऐसा केस लड़ती है जो लाखों छात्रों की जिंदगी पर असर डाल सकता है तो क्या होता है।
क्या है फिल्म की कहानी (Patna Shuklla Review)
तन्वी शुक्ला वकील हैं, लेकिन छोटे मोटे केस लड़ती हैं, ऐसा उनके पति को लगता है, कोर्ट में जज सतीश कौशिक उन्हें रेस्टोरेंट खोलने की सलाह देते हैं, उनके पास एक केस आता है जिसमें एक रिंकी कुमारी नाम की छात्रा कहती है कि उसका पेपर तो अच्छा हुआ है लेकिन नंबर अच्छे नहीं आए और वो अपना पेपर फिर से चेक करवाना चाहती है, ये एक बड़ा घोटाला है, रोल नंबर घोटाला. इस केस को लड़ते हुए तन्वी की जिंदगी में भूचाल आ जाता है, इसी भूचाल की कहानी है पटना शुक्ला.
फिल्म की कैसी है कहानी (Patna Shuklla Review)
ये फिल्म बहुत सारे स्टूटेंड्स की जिंदगी की कहानी को बयां करती है, सबको लगता है उनके नंबर अच्छे आने चाहिए। अब इसका मतलब ये नहीं कि सबके साथ घोटाला होता है लेकिन कुछ के साथ तो होता है और ये फिल्म इसी मुद्दे को छूती है जो बहुत सारे परिवारों के साथ जुड़ा है। फिल्म सिंपल है, सीधी है, कोई ताम झाम नहीं, आसान तरीके से कहानी को कहती है और कहानी आपके दिल को छूती है।
एक टैलेंटेंड हाउसवाइफ के दर्द को आप महसूस करते हैं, उसकी दिक्कतों को आप समझते हैं। जब उसका पति केस जीतने के बाद उससे कहता है कि आप जश्न तो मनाते हैं लेकिन घर पर ही मनाएंगे और मेरे दोस्त भी आ रहे हैं तो खाना जरा ज्यादा बना लेना। कोर्ट के दांव पेंच भी आपको हैरान करते हैं, कुल मिलाकर इस कहानी से आप कनेक्ट कर जाते हैं और कहानी के साथ आगे बढ़ते हैं। तन्वी की जीत में आपको अपनी जीत दिखती है और उसकी हार में अपनी हार, कई जगह आपको जॉली एलएलबी वाला फील भी आता है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। कुल मिलाकर फिल्म देखने में मजा आता है।
कमाल की एक्टिंग (Patna Shuklla Review)
रवीना टंडन कमाल की एक्ट्रेस हैं और यहां वो एक बार फिर से ये बात साबित करती हैं। एक हाउसवाइफ के दर्द को वो जिस सहजता से बयां करती हैं उससे बहुत सी हाउसवाइफ रिलेट कर पाएंगी। अपने बेटे की बस को रास्ते में रोक देती हैं क्योंकि बेटे को टिफिन देता है, कोर्ट में वो जिस तरह से बहस करती हैं वो भी आपका दिल जीत लेता है, रवीना ने इस किरदार को अपने ढंग से निभाया है और बखूबी निभाया है।
वो इस फिल्म की जान हैं, स्टूडेंट के किरदार में अनुष्का कौशिक का काम काफी अच्छा है, उनका ग्लैमर किरदार पर भारी नहीं पड़ता। रवीना के पति के किरदार में मानव विज शानदार हैं, जज साहब के रोल में सतीश कौशिक परफेक्ट हैं। उन्हें फिर से स्क्रीन पर देखना सुकून देता है, जतिन गोस्वामी और चंदन रॉस सान्याल का काम भी अच्छा है।
डायरेक्शन (Patna Shuklla Review)
विवेक बुडाकोटी और राजेंद्र तिवारी का डायरेक्शन अच्छा है, हालांकि थोड़े और ट्विस्ट डाले जाते तो फिल्म और मजेदार बनती लेकिन उन्होंने जिस तरह से फिल्म को ट्रीट किया है वो अच्छा लगता है। अरबाज खान ने इस फिल्म से ओटीटी में एंट्री मारी है और तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अच्छे कंटेंट पर पैसा लगाया है।