Dhanteras Khabarwala 24 News New Delhi:दीपावली का पंचदिवसीय त्योहार धनतेरस से शुरू हो गया है । इस बार धनतेरस आज शुक्रवार को यानि 10 नवंबर को मनाया जाएगा और दीपावली का त्योहार 12 नवंबर यानी रविवार को मनाया जाएगा। धनतेरस और दीपावली के दिन धन वैभव की देवी लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है। कहते हैं कि माता लक्ष्मी के पूजन से मनुष्य को जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त होती है। दीपावली और धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद मां की आरती जरूर करें, जिससे जीवन में सौभाग्य प्राप्त होता है।
मां लक्ष्मी पूजन विधि (Dhanteras)
दीपावली और धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। इस दिन शाम को पूजन के लिए एक चौकी तैयार करें और उसके बाद चौकी पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें। प्रतिमाएं तैयार करने के बाद उनके आगे एक दीपक जलाएं। दीपक जलाने के बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का संकल्प लें। उसके बाद मूर्तियों के आगे जल भरा एक कलश रखें। फिर मां लक्ष्मी और श्री गणेश के को फल, फूल, मिठाई, कलावा, रोली आदि चीजें अर्पित करें। उसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें
धनतेरस पूजन नियम (Dhanteras)
धनतेरस पूजा शाम के समय की जाती है। मां लक्ष्मी को ताजे फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है। घर में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर के बाहर से अंदर तक कदमों के छोटे-छोटे निशान बनाए जाते हैं। लोग पूजा से पहले अपने घरों को भी साफ करते हैं और रंगोली से सजाते हैं।
धनतेरस पर क्या है पूजन मुहूर्त (Dhanteras)
त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 नवंबर 2023 को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 46 मिनट से शाम 7 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। धनतेरस पूजन की कुल अवधि 1 घंटा 56 मिनट है।
धन तेरस पूजा विधि (Dhanteras)
अपने पूजास्थल में चावल या गेहूं की एक छोटी ढेरी बनाकर उस पर देसी घी का एक दिया जलाकर रखें फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्रीसूक्त का पाठ करें। मां लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं को मिठाई या मीठे व्यंजन का भोग लगाएं और फिर इसे परिवार सहित प्रसाद रूप से ग्रहण करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा होगी और आपके जीवन में समृद्धि बढ़ेगी।
क्या है धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथा (Dhanteras)
धनतेरस के दिन लोग आभूषण या नए बर्तन खरीदते हैं। इस दिन सोने और चांदी में निवेश करना ज्यादा शुभ माना जाता है। धनतेरस को लेकर यूं तो कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक इस प्रकार है। प्राचीन काल की बात है कि राजा हिमा के 16 वर्षीय बेटे की शादी की चौथी रात सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी। उसकी जान बचाने के लिए उसकी पत्नी ने अपने सारे सोने के आभूषण और सोने के सिक्के एक ढेर में इकट्ठा कर लिए। फिर उसने गाने गाए और अपने पति को कहानियां सुनाईं ताकि वह सो न जाए। जब मृत्यु के देवता यमराज, राजकुमार के प्राण लेने के लिए सांप के रूप में आए, तो वह सोने की चमक से अंधे हो गए और मधुर संगीत और कहानियाँ सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। इसलिए यमदीपदान के रूप में मनाई जाने वाली परंपरा के रूप में लोग यमराज की पूजा करने और बुराई को दूर करने के लिए इस दिन पूरी रात दीये जलाते हैं।