PM MODI Khabarwala 24 News New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 जुलाई को मंत्री परिषद की बैठक करने वाले हैं। इसकी जानकारी मिलते ही केंद्रीय मंत्री परिषद में फेरबदल की भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इसके अलावा भाजपा के संगठन में भी बदलाव की चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों का कहना है कि यह बैठक 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओवरहॉलिंग को लेकर है। बताया गया कि भाजपा का नेतृत्व चाहता है कि पुराने गठबंधन सहयोगियों को फिर से साथ लिया जाए और कैबिनेट में भी जगह दी जाए। इसी कोशिश के तहत चिराग पासवान को कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद बन रही है। इसके अलावा एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना के भी किसी नेता को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि एनडीए का पुनर्गठन किया जाए। नई परिस्थितियों में वह चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी, अकाली दल को साथ लाना चाहते हैं। इसके अलावा यूपी और बिहार में स्थानीय पार्टियों को जोड़ने की तैयारी है। इन दलों में जीतन राम मांझी की पार्टी HAM, लोजपा के दोनों धड़ों और यूपी में ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा को साथ लाया जा सकता है। पीएम मोदी ने बुधवार देर रात को लंबी बैठक की थी, जिसमें अमित शाह और जेपी नड्डा मौजूद थे। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में समान नागरिक संहिता को लाने के तरीकों और सरकार एवं संगठन में बदलावों को लेकर बात हुई थी।
NDA को मजबूत करना चाहते हैं PM मोदी
बुधवार को कैबिनेट की मीटिंग हुई थी। ऐसे में सोमवार को एक बार फिर से पीएम मोदी की ओर से बैठक बुलाए जाने से कयास तेज हो गए हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी चुनावी मोड में संगठन और सरकार को लाना चाहते हैं। ऐसे में वह सरकार से लेकर संगठन और एनडीए तक को मजबूत करने पर फोकस कर रहे हैं। खासतौर पर उन राज्यों पर भाजपा ज्यादा फोकस कर रही है, जहां वह मजबूत रही है, लेकिन चुनौती सामने है। इन राज्यों में महाराष्ट्र और बिहार शामिल हैं, जहां महाविकास अघाड़ी और महागठबंधन मजबूत दिख रहे हैं।
चिराग पासवान और शिंदे सेना की हो सकती है एंट्री
जहां भाजपा क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर और उन्हें प्रतिनिधित्व देकर अपना गणित साधना चाहती है। इसी कोशिश के तहत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान मंत्री बनाए जा सकते हैं और शिंदे सेना के किसी नेता को भी मंत्री मंडल में जगह मिलने की उम्मीद बताई जा रही है। लोकसभा चुनाव के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव भी इस साल के अंत तक हैं। सरकार और संगठन में बदलाव में इसे भी ध्यान रखा जा सकता है।