Khabarwala 24 News New Delhi : Pran Pratishtha भगवान श्रीराम के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बस एक दिन का समय रह गया है। इसके लिये मंदिर में विशेष अनुष्ठान जारी है। रविवार को 114 कलशों के जल से भगवान राम की प्रतिम को स्नान कराया जाएगा। आज रामलला के मंडप की भी पूजा होगी।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ट्वीट कर कहा, ‘रविवार को स्थापित देवताओं का दैनिक पूजन, हवन, पारायण, आदि कार्य, प्रातः मध्वाधिवास, मूर्ति का 114 कलशों के विविध औषधीयुक्त जल से स्नपन, महापूजा, उत्सवमूर्ति की प्रसाद परिक्रमा, शय्याधिवास, तत्लन्यास, महान्यास आदिन्यास, शान्तिक-पौष्टिक – अघोर होम, व्याहति होम, रात्रि जागरण, सायं पूजन एवं आरती होगी।
शनिवार को राम की चीनी व फलों से पूजा हुई (Pran Pratishtha)
वहीं शनिवार को राम मंदिर में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले वैदिक अनुष्ठानों के पांचवें दिन चीनी और फलों के साथ दैनिक प्रार्थना और हवन किया गया। श्री राम जन्मभूमित तीर्थ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए बताया कि इससे पहले दिन दैनिक पूजा-अर्चना, हवन आदि हुआ। साथ ही चीनी व फलों से अनुष्ठान भी हुआ। मंदिर के प्रांगण में 81 कलश स्थापित कर पूजन किया गया। संध्या पूजा व आरती भी हुई। इस बीच, 22 जनवरी को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से दो दिन पहले शनिवार को भव्य अयोध्या मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान राम के बाल-रूप को दर्शाने वाले पोस्टर लगे हुए थे।
शुक्रवार को मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति (Pran Pratishtha)
अयोध्या स्थानीय लोगों की भीड़ से गुलजार थी और सोमवार को ‘प्राण प्रतिष्ठा’ और मंदिर के भव्य उद्घाटन से पहले उत्साह और प्रत्याशा स्पष्ट थी। इससे पहले, शुक्रवार को प्रसिद्ध मैसूरु मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई श्री रामलला की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह के अंदर रखा गया था।
घूंघट से ढकी हुई मूर्ति की पहली तस्वीर गुरुवार को गर्भगृह में स्थापना समारोह के दौरान सामने आई थी। श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, ‘भगवान की आंखें कपड़े के एक टुकड़े के पीछे छिपी हुई हैं, क्योंकि उन्हें ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से पहले प्रकट नहीं किया जा सकता है।’
मंदिर के मुख्य पुजारी ने उठाई जांच की मांग (Pran Pratishtha)
हालांकि, खुली आंखों वाली मूर्ति की कई कथित तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो गईं। हालांकि, यह दावा करते हुए कि वायरल तस्वीरें असली मूर्ति की नहीं हैं। आचार्य सत्येन्द्र दास ने बताया, ‘हमारी मान्यताओं के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा’ के पूरा होने से पहले मूर्ति की आंखें प्रकट नहीं की जा सकतीं। आँखें दिखाने वाली तस्वीरें असली मूर्ति की नहीं हैं और अगर वायरल तस्वीरों में मूर्ति असली है तो इसकी जांच होनी चाहिए कि किसने आंखें दिखाईं और तस्वीरें लीक कीं।