Khabarwala 24 News Uttar Pradesh : Priests Training भगवान श्रीराम की नित्य पूजा के लिए अर्चकों की ट्रेनिंग चल रही है। मौजूदा जो पुजारी की संख्या है. वह चार है. इसी वजह से नए मंदिर में पुजारियों की कम संख्या को देखते हुए अर्चकों के भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई। जब नया मंदिर बन रहा था. उस वक्त नए तरह के पुरोहित और नए तरह के सेवक की आवश्यकता थी। खास बातचीत में पंडित विठ्ठल जी ने बताया कि कठिन ट्रेनिंग से अर्चकों को गुजरना पड़ रहा है. पूजा-अर्चना से लेकर राम भक्तों का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को है. मंदिर की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी समेत कई देशों के राजदूत शामिल होंगे।
सूर्योदय से पहले स्नान, दो अर्चक छोड़ गए (Priests Training)
पंडित विठ्ठल ने बताया कि प्रतिदिन सुबह 4:30 बजे अर्चकों को तैयार होना पड़ता है. इसके लिए सुबह तीन बजे के बाद ही इन्हें जगना पड़ता है. ठंड के बावजूद बिना स्नान के कोई भी अर्चक ट्रेनिंग में नहीं जा सकता है. 3000 के आसपास आवेदन भरे गए. इनमें से 24 फॉर्म भरकर कंप्लीट करके स्क्रीनिंग करके परीक्षा से अभ्यर्थी आए. जब इनको शिक्षा दीक्षा के लिए कहा गया. इसमें से दो लोगों ने कुछ वजहों से ट्रेनिंग की प्रक्रिया से बाहर हो गए. कठिन ट्रेनिंग करने वाले फिलहाल 22 अर्चक ही बचे हैं.
जाति बंधन से ऊपर हैं भगवान के अर्चक (Priests Training)
भगवान की सेवा में कोई भी जा सकता है. जिन-जिन लोगों ने फॉर्म भरा था. सभी अभ्यर्थियों ने परीक्षा दिया और उनमें से कुछ उत्तीर्ण हुए. इन लोगों के लिए यह जरूरी नहीं था कि कोई ब्राह्मण होगा. वही पूजा करवा सकता है. कोई भी हिन्दू इसके लिए आवेदन कर सकता. जानकारी के मुताबिक भोजन उनको बहुत ही व्यवस्थित मिलता है. इसके साथ ब्रम्हचर्य का पालन करना पड़ रहा है. जिन अर्चकों का चयन किया गया है. उन्हें ट्रेनिंग तक परिवार से बात करने की इजाजत नहीं है।
रामानंदी होना अनिवार्य, छह माह की ट्रेनिंग (Priests Training)
जो भी अर्चक ने आवेदन किया उसकी प्रमुख शर्तों में मूल पद्धति जो आचार्य परंपरा है. उसका रामानंदी संप्रदाय का प्रश्न है. अनुकरण करना अनिवार्य किया गया. पंडित विठ्ठल जी ने बताया कि यह 6 महीने की ट्रेनिंग है. उसे ट्रेनिंग की प्रक्रिया को और आगे भी बढ़ाया जा सकता है. बहुत भयंकर सुबह ठंड में 4:30 से लेकर रात के 8:30 बजे तक त्रिकाल संध्या प्रातः काल संध्या मध्य संध्या और विभिन्न प्रकार के जो भी परंपराएं हैं. रामानंद संप्रदाय के उसको उनको फॉलो करना पड़ रहा है.
ट्रेनिंग के बाद लिखित और मौखिक परीक्षा (Priests Training)
इस ट्रेनिंग के बाद उन्हें लिखित और मौखिक परीक्षा से गुजरना पड़ेगा. इनके रहने और खाने की व्यवस्था श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से किया गया है. अभी मूल रूप से इनको मिथिलेश नंदी शरण जी और सत्यनारायण दास जी इनको सीखा रहे हैं. इसके साथ-साथ दक्षिण से भी कुछ पंडित आए हैं. वह लोग भी आकर कुछ-कुछ पूजा पद्धति और परंपराओं का ज्ञान उन्हें दे रहे हैं. वर्तमान में इन्हें ट्रस्ट की ओर से घोषित किया गया 2000 रुपये दिया जा रहा है।