Khabarwala 24 News New Delhi :Racing Car आखिर सामान्य कारों और रेसिंग कारों में क्या अंतर होता है. ये अलग किस्म और डिजाइन की होती हैं. ये सच है कि आपने अगर फार्मूला वन रेस में दौड़ने वाली कारों को देखा हो तो इनका इंजन इतना ताकतवर होता है कि ये कारें ट्रैक पर सेकेंड्स में अल्ट्रा हाईस्पीड पकड़कर हवा से बातें करने लगती हैं।
जहां सामान्य कारें शून्य से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार हासिल करने में 8 सेकेंड लगाती हैं, रेसिंग कारों को इसमें केवल 1.7 सेकेंड का समय लगता है। सामान्य और रेसिंग कारों के इंजन जरूर अलग क्षमता के होते हैं. रेसिंग कारों में शॉर्ट स्ट्रोक इंजन का उपयोग होता है. ये इंजन ज्यादा लंबे चलते हैं ओर बिना नाकाम हुए तेज रफ्तार भी दे सकते हैं। दोनों कारों में एक बड़ा अंतर उनकी बॉडी का होता है।
इस्तेमाल होता है आईसी इंजन का (Racing Car)
सामान्य कार की बॉडी स्टील की होती है. लेकिन रेसिंग कार की बॉडी कार्बन फाइबर की होती है. यह कार हलकी होती है. वहीं आम कारों में स्टील गाड़ी के वजन को बढ़ाता है. सामान्य कारों का वजन रेसिंग कारों के वजन से दो गुना होता है. सामान्य कारें और रेसिंग कारों में आईसी इंजन का इस्तेमाल होता है. दोनों में गियरबॉक्स, सस्पेंशन, टायर, ब्रेक आदि की समानताएं होती हैं. लेकिन रेसिंग कारों को एक खास मकसद से डिजाइन किया जाता है और इसी वजह से दोनों में अंतर आ जाता है।
मोटे होते टायर सुरक्षा के लिहाज से (Racing Car)
एक मजेदार पहलू यह भी है कि अगर कार की रफ्तार बढ़ानी है तो अपने वाहन के टायर पतले रखें. लेकिन देखने में आता है कि रेसिंग कार के टायर बहुत चौड़े होते हैं. टायर सुरक्षा के लिहाज से मोटे रखे जाते हैं ,नहीं तो कार पलटने में देर नहीं लगती. इनकी गति हजार मील प्रति घंटा यानी 1600 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है. इनके इंजन विशेष डिजाइन के टर्बो जेट इंजन होते हैं. अगर केवल रेसिंग कार ही की बात करें तो इनकी अधिकतम रफ्तार 500 किलोमीटर प्रति घंटा तक की होती है।
दो घंटे में 1054 किमी का सफर (Racing Car)
इनिग्सैग जैग्सो एब्सॉल्यूट नाम की कार इससे अधिक की रफ्तार हसिल कर चुकी है. यानी इससे दिल्ली से पटना के बीच तक सफर, जो करीब 1054 किलोमीटर का होता है, दो घंटे में पूरा हो सकता है. रेसिंग कारों में सीक्वेन्शियल गियर बॉक्स होता है. जबकि आम कारों में एच पैटर्न की तकनीक वाले गियर बॉक्स होते हैं. बहुत तेज रफ्तार में एच पैटर्न के गियर बॉक्स कारगर नहीं रह जाते हैं. रेसिंग कारों के गेयर बहुत आसान होते हैं।
फार्मूलावन कार का वजन 700 kg (Racing Car)
कई रेसिंग कारों में तो चेसिस तक कार्बन फाइबर का होता है। इससे कार का वजन बहुत ही कम हो जाता है। एक फार्मूलावन कार का वजन 700 किलोग्राम होता है। गति के मामले में वजन बहुत मायने रखता है. वहीं सामान्य कारों में सुरक्षा के लिए भी एक निश्चित वजन होना बहुत जरूरी है। कार का आकार भी कम मायने नहीं रखता है। सही आकार तेज रफ्तार में भागने में कार की मदद करता है। रेसिंग कार दिखने में भले ही कूल लगें, पर उन्हें दिखने के लिहाज से डिजाइन ही नहीं किया जाता है। उनकी डिजाइन में एरोडायनिक्स का ध्यान रखा जाता है।