Friday, November 22, 2024

Rahul Gandhi Raebareli Seat रायबरेली के रण में सियासत का महाखेल, परंपरागत सीट पर चर्चाओं का बाजार गर्म, राहुल गांधी कितने मजबूत, कितने कमजोर…

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Khabarwala 24 News New Delhi : Rahul Gandhi Raebareli Seat रायबरेली संसदीय सीट से राहुल गांधी के कैंडिडेट बनने के बाद चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या वो अपनी मां सोनिया गांधी की इस सीट को बचा पाएंगे? राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी को छोड़कर रायबरेली गए हैं। इसके पीछे का सबसे मजबूत कारण यही माना जा रहा है कि कांग्रेस को लगता है कि राहुल के लिए रायबरेली अमेठी के मुकाबले सेफ है पर रायबरेली जीतने के लिए बीजेपी पिछले पांच साल से काम कर रही है, जबकि कांग्रेस ने प्रत्याशी का फैसला ही नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन किया है।

हालांकि इसके बावजूद गांधी परिवार की इस परंपरागत सीट पर राहुल गांधी को जीत की उम्मीद के एक नहीं कई कारण हैं और उतने ही कारण पराजय के भी। पहले हम चर्चा करते हैं राहुल गांधी और कांग्रेस की उन कमजोरियों पर, जिनके चलते ऐसा लगता है कि रायबरेली का रण राहुल के लिए सकारात्मक संदेश लेकर नहीं आने वाला है। आइए जानते हैं इसके कारण…

-वायनाड के लिए रायबरेली छोड़ देंगे राहुल (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

ऐसी चर्चा चल रही है रायबरेली जीतने के बाद राहुल गांधी वायनाड के लिए इस सीट से इस्तीफा दे सकते हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश का बयान भी इस बात पर मुहर लगा रहा है। जयराम रमेश ने कहा है कि प्रियंका गांधी के लिए प्लान बी तैयार है। उस प्लान बी को राहुल के रायबरेली जीतने के बाद लागू किया जाएगा। हो सकता है कि राहुल गांधी रायबरेली जीतने के बाद वायनाड में ही बने रहें, क्योंकि केरल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

बहुत उम्मीद है कि इस बार केरल में कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन UDF की सरकार बने, इसलिए यह तय है कि राहुल गांधी वायनाड नहीं छोड़ेंगे. क्योंकि वायनाड से रिजाइन करने पर गलत संदेश जाएगा। अगर जनता के बीच ये संदेश चला जाता है कि राहुल गांधी रायबरेली जीतने के बाद यहां से रिजाइन कर देंगे तो निश्चित है कि कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो जाएगा।

-5 साल से तैयारी कर रहे दिनेश प्रताप सिंह (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

दिनेश प्रताप सिंह पिछले पांच साल से रायबरेली जीतने के लिए लगे हुए हैं। बीजेपी भी 2019 में दिनेश प्रताप सिंह के चुनाव हारने के बाद उन्हें भविष्य के सांसद के रूप प्रोजेक्ट करती रही है। दरअसल पार्टी रायबरेली में अमेठी मॉड्यूल पर काम कर रही है। जैसे स्मृति इरानी 2014 में चुनाव हारने के बाद 5 साल लगी रहीं और 2019 में राहुल गांधी को हरा दिया।

उसी तरह दिनेश प्रताप सिंह भी लगे हुए हैं। उन्हें बीजेपी ने चुनाव हारने के बाद न केवल एमएलसी बनाया बल्कि यूपी मंत्रमंडल में उन्हें मंत्री पद दिया गया। कभी दिनेश सिंह सोनिया गांधी के खास लोगों में हुआ करते थे। कहा जाता है कि दिनेश सिंह के आवास पंचवटी से जिले की राजनीति कंट्रोल होती है।

-रायबरेली का जातीय समीकरण गड़बड़ाया (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

जातीय और सामाजिक समीकरणों की बात करें तो बीजेपी मजबूत स्थिति में दिख रही है। करीब 11 फीसदी ब्राह्मण, करीब नौ फीसदी राजपूत हैं जो आजकल बीजेपी को वोट करते हैं. जबकि मुस्लिम 6 फीसदी और 7 फीसदी यादव वोटर्स हैं। जाहिर है कि यहां समाजवादी पार्टी के कोर वोटर्स कम हैं। समाजवादी पार्टी चूंकि कांग्रेस के साथ ही है इसलिए ये वोट राहुल गांधी को जा सकते हैं।

हालांकि बसपा ने ठाकुर प्रसाद यादव को खड़ा कर यादव वोटों में सेंध लगाने की तैयारी कर दी है। सबसे खास बात यह है कि रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में कुल करीब 34 फीसदी दलित मतदाता हैं। पिछली बार दलित वोट सोनिया गांधी को जरूर मिला होगा, क्योंकि समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था और दोनों ने ही रायबरेली से अपने प्रत्याशी नहीं खड़े किए थे। इसके अलावा लोध 6 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी के करीब हैं, जो आज की तारीख में बीजेपी के कोर वोटर्स हैं। 23 फीसदी अन्य वोटों में कायस्थ-बनिया और कुछ अति पिछड़ी जातियां हैं जो बीजेपी के वोट देती हैं।

चार विस सीटों पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में रायबरेली सदर, हरचन्दपुर, ऊंचाहार, सरेनी, बछरावां 5 विधानसभा सीटें हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली सदर में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। बछरावां, सरेनी, हरचंदपुर, ऊंचाहार में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की पर अब ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय अब बीजेपी के खेमे में हैं। 5 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस एक भी जीत नहीं सकी। सबसे बड़ी बात यह रही कि करीब 4 सीटों पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही और एक सीट पर कांग्रेस चौथे स्थान पर पहुंच गई थी।

लगातार कांग्रेस का कम होता वोट शेयर (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

कांग्रेस का वोट शेयर रायबरेली सीट पर लगातार कम हो रहा है। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलने वाले वोट का परसेंटेज करीब 72.2 प्रतिशत था, जो कि 2014 में गिरकर 63.8 परसेंट हो गया था। दिनेश प्रताप सिंह ने बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर 2019 में सोनिया गांधी को जोरदार टक्कर दी।

2019 में दिनेश प्रताप सिंह के प्रत्याशी बनने के बाद सोनिया गांधी को मिलने वाले वोट का प्रतिशत गिरकर 63.8 परसेंट से 55.8 प्रतिशत हो गया। 2014 में जहां बीजेपी को करीब 21.1 प्रतिशत वोट ही मिला था जो दिनेश प्रताप सिंह के आने के बाद 2019 में 38.7 परसेंट तक पहुंच गया।

वहीं, परंपरागत सीट पर राहुल गांधी की जीत की उम्मीद के एक नहीं कई कारण हैं (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

उपरोक्त कमजोरियों के बावजूद राहुल गांधी को रायबरेली से हराना बीजेपी के लिए इतना आसान भी नहीं है। रायबरेली और गांधी परिवार का साथ पिछले 7 दशकों का है। राजीव गांधी के पिता फिरोज गांधी के समय से रायबरेली का नाता गांधी परिवार के साथ रहा है। रायबरेली के लोगों का गांधी परिवार के साथ एक इमोशनल रिश्ता है। कम से कम तीन कारण ऐसे हैं जिसके चलते राहुल गांधी को हराना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है।

गांधी परिवार का नाम अपने आप में बहुत बड़ा (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

राहुल गांधी अपने आप में एक बहुत बड़ा नाम हैं। आज की तारीख में भी बीजेपी की पूरी राजनीति उन्हीं पर केंद्रित है। देश में अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कद का कोई राजनीतिज्ञ है तो वो राहुल गांधी ही हैं। जनता इस बात को समझती है। राहुल गांधी के सामने बीजेपी के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह कितना भी लोकल लेवल पर मजबूत हो जाएं पर उनका कद राहुल गांधी के सामने कहीं भी नहीं ठहरता है।

राहुल का यह कद ही है जो उन्हें इतना मजबूत बनाता है कि हर जाति और हर धर्म के लोगों के बीच से उन्हें वोट मिलेगा। इसके साथ ही गांधी परिवार के प्रति समर्पित वोटर्स का भी एक बड़ा तबका है जो जाति और धर्म की परवाह को छोड़कर उन्हें वोट करता है। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो गांधी परिवार के नाम रायबरेली से जुड़ने में प्राइ़ड फील करते हैं। ऐसे लोगों का भी वोट राहुल गांधी को बढ़त दिलाता है।

समाजवादी पार्टी का विधानसभा क्षेत्रों में दबदबा (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

रायबरेली में रायबरेली सदर, हरचन्दपुर, ऊंचाहार, सरेनी, बछरावां 5 विधानसभा सीटें हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली सदर में भाजपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि बछरावां, सरेनी, हरचंदपुर, ऊंचाहार में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की। ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय जरूर बीजेपी के साथ हो गए हैं पर वहां की जनता किसके साथ है ये तो वोटिंग के समय ही पता चलेगा। चूंकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है इसलिए यह तय है कि समाजवादी पार्टी के वोट कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी को मिलेंगे।

 जातिगत गणित, ब्राह्मणों का कुछ हिस्सा पाले में (Rahul Gandhi Raebareli Seat)

रायबरेली लोकसभा सीट के जातीय समीकरण यूं तो बीजेपी के पक्ष में दिख रहे हैं पर करीब 11 फीसदी ब्राह्मणों का कुछ हिस्सा कांग्रेस को वोट कर सकता है। दरअसल ब्राह्रण यूपी में कांग्रेस के कोर वोटर्स रहे हैं। कांग्रेस के पतन के बाद वो बीजेपी के साथ हो लिए पर राहुल गांधी जैसे मजबूत कैंडिडेट के लिए कुछ ब्राह्मणों की निष्ठा फिर से कांग्रेस के लिए जाग सकती है।

इसी तरह 6 फीसदी मुस्लिम और 7 फीसदी यादव वोटर्स हैं जो कांग्रेस के लिए ही वोट करेंगे। जाहिर है कि यहां समाजवादी पार्टी के कोर वोटर्स हैं। बीएसपी कैंडिडेट ठाकुर प्रसाद यादव अगर कमजोर पड़ते हैं तो 34 प्रतिशत के करीब दलित वोटर्स का कुछ हिस्सा भी कांग्रेस की ओर जा सकता है। 23 फीसदी अन्य वोटों में कायस्थ-बनिया और कुछ अति पिछड़ी जातियां हैं। ये कांग्रेस की मेहनत पर निर्भर करेगा कि वो किसे वोट देते हैं।

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