Khabarwala 24 News New Delhi : Raksha Bandhan श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 19 अगस्त दिन सोमवार को यह पवित्र पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई से अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। राजसूय यज्ञ के समय द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था तभी से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा चली आ रही है। हालांकि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल लगने की वजह से लोग काफी परेशान हैं।
भद्रा का निवास पाताल लोक (Raksha Bandhan)
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा काल जरूर लगेगा लेकिन पृथ्वी पर इसका कोई प्रभाव नहीं रहेगा। इस बार पूर्णिमा 19 अगस्त को रात 11.55 तक रहेगी इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार भी इसी दिन मान्य है। 19 अगस्त को दोपहर 01.33 बजे तक भद्रा रहेगी लेकिन चंद्रमा के मकर राशि में होने के कारण भद्रा का निवास पाताल लोक में रहेगा।
रक्षाबंधन पर राहुकाल कब (Raksha Bandhan)
रक्षाबंधन के दिन राहुकाल भी लगने वाला है। इस दिन सुबह 7 बजकर 31 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 8 मिनट तक राहु काल रहने वाला है। ध्यान रहे कि रक्षासूत्र बांधते समय भाई और बहन का सिर खुला नहीं होना चाहिए। रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता या गुरुजनों का आशीर्वाद लेना न भूलें। तत्पश्चात बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें। उपहार में ऐसी वस्तुं दें जो दोनों के लिए मंगलकारी हों। काले वस्त्र या नुकीली-धारदार वस्तुए भेंट करने से बचें।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan)
राखी बांधने का सबसे अच्छा मुहूर्त दोपहर 01.46 बजे से शाम 04.19 बजे तक रहेगा। यानी राखी बांधने के लिए पूरे 2 घंटे 33 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलावा, आप शाम को प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं। इस दिन शाम 06.56 बजे से रात 09.07 बजे तक प्रदोष काल रहेगा। धरती के शुभ कार्य पर भद्रा का प्रभाव नहीं पड़ेगा। अतः पूरे दिन निसंकोच रक्षाबंधन मनाया जा सकता है। आपको केवल राहुकाल में राखी बांधने से बचना होगा।
कैसे मनाएं पवित्र रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)
रक्षाबंधन के दिन सुबह स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें फिर ईश्वर की आराधना के बाद एक थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें। घी का एक दीपक भी प्रज्वलित करें। रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर एक चौकी पर बैठाएं। पहले भाई को तिलक लगाएं। रक्षा सूत्र बांधें। इसके बाद उसकी आरते उतारें फिर मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें।
Disclaimer : यहां दी गई जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Khabarwala 24 News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।