Khabarwala 24 News New Delhi :Rath Saptami हिंदू धर्म में रथ सप्तमी का खास महत्व है। इसे माघ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है जोकि माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ पूजन भी किया जाता है। इसे हिंदू धर्म की सभी सप्तमियों में रथ सप्तमी सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। मान्यता है कि यह वही दिन है जब सूर्यदेव का अवतरण हुआ था। कहते हैं इस दिन सूर्य देव की अराधना करने से व्यक्ति को करियर-कारोबार में तरक्की मिलने के साथ सभी बिगड़े काम भी बनते हैं।
रथ सप्तमी तिथि (Rath Sapatami)
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत सोमवार, 4 फरवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन मंगलवार, 5 फरवरी को रात 2 बजकर 30 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार रथ सप्तमी का पर्व 4 फरवरी को मनाया जाएगा।
रथ सप्तमी शुभ मुहूर्त (Rath Sapatami)
पंचांग के अनुसार, रथ सप्तमी के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 23 मिनट से लेकर 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इस दौरान लोग स्नान कर सूर्यदेव को अर्घ्य और पूजन कर सकते हैं।
रथ सप्तमी पूजा विधि (Rath Saptami)
रथ सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करे। उसके बाद सूर्य देव को तांबे के कलश में जल भरकर दोनों हाथों से सूर्य देव को धीरे-धीरे अर्घ्य दें। इस दौरान भगवान सूर्य की मंत्रों का जाप करें। अर्घ्य देने के बाद घी का दीपक जलाए और सूर्यदेव की पूजा करें। उसके बाद लाल रंग के फूल, धूप और कपूर का इस्तेमाल जरूर करें। कहते हैं इससे सकारात्मक ऊर्जा आती है और सफलता के नए मार्ग खुलते हैं।
सूर्य देव के मंत्र और ग्रंथों का पाठ (Rath Sapatami)
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
ॐ सूर्याय नम: ।
ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात्।।
ऊँ सप्ततुरंगाय विद्महे सहस्त्रकिरणाय धीमहि तन्नो रवि: प्रचोदयात्।।
गायत्री मंत्र
सूर्य सहस्रनाम
आदित्यहृदयम्
सूर्याष्टकम
रथ सप्तमी का महत्व
कहते हैं कि सूर्य सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से लोगों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान भास्कर प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन सूर्य की ओर मुख करके सूर्य स्तुति करने से त्वचा रोग आदि दूर होते हैं और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास से रखने पर पिता-पुत्र में प्रेम बना रहता है।
Disclaimer : यहां दी गई जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। ्Khabarwala 24 News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।