Khabarwala 24 News New Delhi : Ratnesh Tiwari शिक्षा की अहमियत समझते तो सभी हैं, लेकिन इसके लिए काम करने वाले लोग बड़े कम ही होते हैं। ऐसे ही एक शख़्स हैं गोरखपुर के रत्नेश तिवारी पिछले सात सालों से अपनी संस्था युवा इंडिया की मदद से कइयों की जिंदगी में शिक्षा की रोशनी लाने की कोशिश कर रहे हैं। पेशे से इंजीनियर रत्नेश के अंदर ज़रूरतमंदों की मदद करने का जज़्बा हमेशा से था। वह अब तक 300 से ज़्यादा बच्चों को स्कूल तक पहुंचा चुके हैं। इसके साथ वह ही इन बच्चों के परिवार की स्थिति सुधारने के लिए भी काम कर रहे हैं। वह यहां रहनेवाली महिलाओं के लिए लाइवलीहुड प्रोग्राम चलाते हैं। उनकी टीम से आज कई डॉक्टर, इंजीनियर और MBA ग्रैजुएट जुड़ चुके हैं। रत्नेश और उनकी टीम यही कोशिश करती है कि कैसे इन बच्चों को स्कूल तक पहुंचाया जाए। हालांकि, काम आसान भी नहीं था लेकिन हार नहीं मानी।
गोरखपुर आकर शुरू किया काम, संस्था भी बनाई | Ratnesh Tiwari
रत्नेश ने बताया कि वह पढ़ाई और नौकरी के सिलसिले में जहाँ भी रहते थे, वहां किसी न किसी संस्था से जुड़कर सामाजिक काम किया करते थे। उन्हें अपने माता-पिता से ऐसा करने की प्रेरणा मिली है। हैदराबाद में काम करते हुए जब वह सड़क पर रहनेवाले बच्चों के लिए काम कर रहे थे, तब उन्हें ख्याल आया कि ऐसा काम क्यों न अपने शहर में रहकर किया जाए। रत्नेश चाहते थे कि उनके शहर में सड़क पर रहनेवाले परिवार के बच्चे भी अच्छा जीवन हासिल करें। इसी सोच के साथ वह वापस गोरखपुर आए, यहां आकर उन्होंने अपना खुद का काम शुरू किया। साथ ही जरूरतमंदों के लिए एक संस्था भी बनाई।
तीन-चार बच्चों के साथ शुरू किया था फ्री स्कूल | Ratnesh Tiwari
रत्नेश ने युवा इंडिया मंच की शुरुआत साल 2016 में की थी। इसके तहत वह खुद ही एक स्लम इलाके में जाकर बच्चों को पढ़ाया करते थे। शुरुआत में उन्होंने ‘अक्षर मुहिम पाठशाला’ नाम से एक स्कूल शुरू किया, जिसमें सिर्फ चार-पांच बच्चे पढ़ने आते थे। धीरे-धीरे और पढ़े-लिखे व सक्षम लोग उनसे जुड़ने लगे। इसके बाद उन्होंने शहर के अलग-अलग इलाकों में एक छोटे स्तर पर पाठशाला लगानी शुरू की। रत्नेश ने देखा कि सरकारी स्कूल होते हुए भी बच्चे वहां दाखिला नहीं ले रहे हैं, क्योंकि इन बच्चों या इनके परिवार वालों को शिक्षा की ताकत का अंदाजा ही नहीं था।
परिवार की आर्थिक हालत सुधारने का कर रहे काम | Ratnesh Tiwari
समय के साथ उनके इस फ्री स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी। आज रत्नेश ने करीबन 300 से ज्यादा बच्चों को स्कूल से जोड़ दिया है। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि आज शहर के कई परिवार अपने छोटे-छोटे कामों के लिए किसी पर निर्भर नहीं हैं। उनकी आर्थिक और सामाजिक स्तर में काफी सुधार भी आ गया है। यानी, जिस बदलाव की उम्मीद लेकर रत्नेश ने अपना पहला कदम उठाया था, आज वह बदलाव होता नज़र आ रहा है। सालों पहले जो सपना उन्होंने देखा था, वह आज उसे सच होता देख पा रहे हैं। आज सड़क पर रहनेवाले कई बच्चे शिक्षा से जुड़ चुके हैं।