Sunday, January 5, 2025

Ravana Temples in India वो 8 गुमनाम जगहें, जहां राक्षस नहीं देवता की तरह होती है रावण की पूजा, वजह जान रह जाएंगे हैरान

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Khabarwala 24 News New Delhi : Ravana Temples in India बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक यह त्यौहार लोगों को यह विश्वास दिलाता है कि बुराई की हमेशा अच्छाई पर जीत होती है। यह त्यौहार हर साल भगवान श्रीराम द्वारा रावण के वध के बाद मिली जीत की खुशी में मनाया जाता है।

लंकापति रावण एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसका उल्लेख महाकाव्य रामायण में भी किया गया है। रामायण में भले ही रावण ने माता सीता का अपहरण करने जैसा राक्षसी कृत्य किया हो, लेकिन वास्तव में वह एक महान विद्वान था। यही कारण है कि भारत के कई हिस्सों में अपनी-अपनी मान्यताओं के आधार पर रावण की पूजा की जाती है।

नोएडा के बिसरख गांव में रावण का जन्मस्थान (Ravana Temples in India)

उत्तर प्रदेश में दिल्ली से सटे नोएडा के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में बिसरख गांव स्थित है। बिसरख गांव के लोगों का दावा है कि यह रावण की जन्मस्थली थी। गांव वालों के मुताबिक, गांव का नाम रावण के पिता विश्रवा मुनि के नाम पर पड़ा है। यहां ऋषि विश्रवा और उनके पुत्र रावण भगवान शिव की पूजा करते थे।

करीब एक सदी पहले खुदाई के दौरान काफी गहराई में मिले अद्भुत शिवलिंग को ही रावण द्वारा पूजित शिवलिंग माना जाता है। इस शिवलिंग को यहां एक मंदिर में स्थापित किया गया है, जिसमें रावण की भी पूजा की जाती है। बिसरख के लोग दशहरे पर कभी रावण का पुतला नहीं जलाते हैं।

जोधपुर में इस जगह होती है रावण की पूजा (Ravana Temples in India)

राजस्थान के जोधपुर का गोधा श्रीमाली समुदाय भी खुद को रावण का वंशज मानता है। इनका मानना ​​है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म जोधपुर के मंडोर इलाके में हुआ था और यहीं दोनों का विवाह हुआ था। किला रोड स्थित अमरनाथ महादेव मंदिर में रावण और मंदोदरी के मंदिर हैं, जहां उनकी पूजा की जाती है।

दशहरे के दिन गोधा श्रीमाली समुदाय शोक मनाता है और रावण दहन के बाद स्नान करने के बाद फिर से जनेऊ पहनता है। इस समुदाय का मानना ​​है कि वे रावण के वंशजों का हिस्सा हैं जो लंका में उसके वध के बाद बच गए थे, जो जोधपुर भागकर यहां बस गए।

मंदसौर रावण-मंदोदरी का विवाह स्थल है (Ravana Temples in India)

मध्य प्रदेश के मंदसौर के निवासी इसे रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका कहते हैं। माना जाता है कि यहीं पर रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था। मंदोदरी के नाम पर ही इस जगह का नाम मंदसौर पड़ा। यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं। यहां रावण का एक मंदिर है, जिसमें उसे रुंडी के नाम से पूजा जाता है। चूंकि वह उनका दामाद है, इसलिए महिलाएं घूंघट ओढ़कर रावण की पूजा करती हैं।

विदिशा में 10 फीट ऊंची प्रतिमा वाला मंदिर (Ravana Temples in India)

विदिशा के रावणग्राम गांव में रावण का मंदिर मौजूद है, जिसमें रावण की 10 फीट लंबी लेटी हुई मूर्ति है। विदिशा के लोगों का दावा है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म यहीं हुआ था। यहां दशहरे पर रावण का पुतला जलाने की बजाय उसकी विशेष पूजा की जाती है।

कानपुर में रावण को दूध से नहलाया जाता है (Ravana Temples in India)

उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला इलाके में स्थित रावण मंदिर के कपाट सिर्फ दशहरे के दिन ही खोले जाते हैं। दशहरे के दिन रावण की मूर्ति को विधि-विधान से स्नान कराकर दूध से अभिषेक करने के बाद सजाया जाता है और फिर पूजा-अर्चना और आरती भी की जाती है। मान्यता है कि यहां तेल का दीपक जलाने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में रावण का मंदिर (Ravana Temples in India)

आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में भी रावण का एक मंदिर है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसकी स्थापना स्वयं रावण ने की थी। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना स्वयं रावण ने की थी। यहां भगवान शिव के प्रति रावण की भक्ति को दर्शाया गया है।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में भी होती है पूजा (Ravana Temples in India)

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में भी रावण की पूजा की जाती है। यहां मान्यता है कि रावण ने बैजनाथ कांगड़ा में तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था, जिससे शिव प्रकट हुए थे। इसी वजह से कांगड़ा के लोग रावण को महाशिव का भक्त मानकर उसकी पूजा करते हैं। यहां मान्यता है कि अगर कोई रावण को जलाएगा तो उसकी मौत हो जाएगी।

मेरठ के इस मंदिर में भी मनाया जाता है शोक (Ravana Temples in India)

मेरठ में भी सदर थाने के पीछे स्थित बिलेश्वर महादेव मंदिर में भले ही रावण की प्रतिमा मौजूद न हो, लेकिन दशहरे के दिन यहां शोक मनाया जाता है। मान्यता है कि मेरठ का पुराना नाम मयराष्ट्र था और यह मंदोदरी के पिता मय दानव की राजधानी थी। मंदोदरी भी भगवान शिव की पूजा करने के लिए बिलेश्वर महादेव मंदिर आती थीं। इसी वजह से मेरठवासी अपने शहर को रावण का ससुराल भी मानते हैं।

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