Khabarwala 24 News New Delhi : Rudraksha Importance हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का संबंध सीधे भगवान शिव से है. यह रुद्राक्ष बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभकारी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति रूद्राक्ष को धारण करता है उसके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। रुद्राक्ष कई तरह के होते हैं। सभी का प्रभाव अलग-अलग होता है।
शिवमहापुराण ग्रंथ में कुल सोलह प्रकार के रूद्राक्ष का जिक्र (Rudraksha Importance)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार तपस्या के दौरान जब भगवान भोलेनाथ अत्यंत क्षुब्द यानी भावुक हो गए तो उनके नेत्रों से कुछ आंसू की बूंदें धरती पर गिरी जिनसे रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। मान्यताओं के अनुसार, शिव अर्थात रूद्र साक्षात रुद्राक्ष में बसते हैं। ऐसे में रुद्राक्ष धारण करने वालों पर साक्षात रूद्र की कृपा बनी रहती है। इसे धारण करन वालों के पास नकारात्मक शक्तियां या ऊर्जा नहीं आती है। रुद्राक्ष का पेड़ पहाड़ी इलाकों में पाया जता है। जैसे नेपाल, बर्मा, थाईलैंड या इंडोनेशिया में यह पेड़ सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। इसी पेड़ का बीज रुद्राक्ष कहलाता है। हालांकि भारत में भी कई पहाड़ी इलाकों में एक विशेष ऊंचाई पर यह पेड़ पाया जाता है। शिवमहापुराण ग्रंथ में कुल सोलह प्रकार के रूद्राक्ष का जिक्र किया गया है।
जानें इतने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष और उनका महत्व (Rudraksha Importance)
एक मुखी रुद्राक्ष : यह साक्षात् शिव का स्वरुप माना जाता है। सिंह राशि वालों के लिए अत्यंत शुभ होता है, जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या है, उन्हें इसे धारण करना चाहिए।
दो मुखी रुद्राक्ष : यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है। कर्क राशि वालों के लिए यह रुद्राक्ष उत्तम परिणाम देता है। इसे धारण करने से आत्मविश्वास और मन की शांति प्राप्त होती है।
तीन मुखी रुद्राक्ष : यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है। मेष और वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह उत्तम माना जाता है। मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष को धारण किया जाता है।
चार मुखी रुद्राक्ष : यह ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है। मिथुन और कन्या राशि के लिए यह सर्वोत्तम रुद्राक्ष है। त्वचा के रोगों, मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता में इसका विशेष लाभ होता।
पांच मुखी रुद्राक्ष : इसको कालाग्नि भी कहा जाता है। इसको करने से मंत्र शक्ति और ज्ञान प्राप्त होता है। इसका संबंध बृहस्पति ग्रह से है।
छः मुखी रुद्राक्ष : इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है। इसे ज्ञान और आत्मविश्नास के लिए खास माना जाता है। यह शुक्र ग्रह के लिए लाभकारी होता है।
सात मुखी रुद्राक्ष : इसको सप्तऋषियों का स्वरुप माना जाता है। इससे आर्थिक संपन्नता प्राप्त होता है। इसका संबंध शनि ग्रह से है।
आठ मुखी रुद्राक्ष : इसे अष्टदेवियों का स्वरुप माना जाता है। इसे धारण करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती हैं। इसे राहु संबंधित समस्या से छुटकारा मिलता है।
नौ मुखी रुद्राक्ष : इसे धारण करने से शक्ति, साहस और निडरता प्राप्त होती है। ये धन-सम्पत्ति, मान-सम्मान, यश बढ़ाने में सहायक साबित होता है।
दस मुखी रुद्राक्ष : इसे धारण करने से दमा, गठिया, पेट, और नेत्र संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा मुख्य रूप से नाकारात्मक शक्तियों से बचाता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष : इसको धारण करने से आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। धार्मिक मान्यता है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहयोगी होता है।
बारह मुखी रुद्राक्ष : इसको धारण करने से उदर रोग, ह्रदय रोग, मस्तिष्क से संबंधित रोगों में लाभ मिलता है। इसके अलावा सफलता प्राप्ति के लिए भी पहना जाता है।
तेरह मुखी रुद्राक्ष : इसको वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए पहना जाता है। इसका संबंध शुक्र ग्रह से है।
चौदह मुखी रुद्राक्ष : इसको धारण करने से छठी इंद्रीय जागृत होने और सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।