Khabarwala 24 News New Delhi : Satellite Based Toll System टोल प्लाजा पर लगने वाले समय को कम करने के लिए नया सैटेलाइट टोल सिस्टम आने वाला है। जीहां अब केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि जल्द ही वो इस व्यवस्था को हटाकर नई सर्विस लाएंगे, जो सैटेलाइट बेस्ड होगी। केंद्रीय ट्रांसपोर्ट मंत्री का दावा है कि ये सर्विस फास्टैग से भी तेज होगी. हालांकि, इसे कब तक लॉन्च किया जाएगा, इसकी जानकारी फिलहाल जारी नहीं की गई है. मगर इस सिस्टम के लॉन्च होते ही टोल प्लाजा पर गाड़ी रोकने की जरूरत नहीं होगी। FasTag और टोल प्लाजा का झंझट खत्म हो जाएगा। यानी सैटेलाइट से ही आपके पैसे कट जाएंगे।
बिना रुके शानदार एक्सपीरियंस (Satellite Based Toll System)
सरकार इस कदम के जरिए सभी फिजिकल टोल को रिमूव करना चाहती है, जिससे एक्सप्रेस-वे पर लोगों को बिना रुके शानदार एक्सपीरियंस मिले। इसके लिए सरकार GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेगी, जो मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम को रिप्लेस करेगा।
नितिन गडकरी ने समझाया प्लान (Satellite Based Toll System)
मौजूदा सिस्टम RFID टैग्स पर काम करता है, जो ऑटोमेटिक टोल कलेक्ट करता है। वहीं दूसरी तरफ GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम में वर्चुअल टोल होंगे। यानी टोल मौजूद होंगे, लेकिन आपको नजर नहीं आएंगे। इसके लिए वर्चुअल गैन्ट्रीज़ इंस्टॉल किए जाएंगे, जो GNSS इनेबल वीइकल से कनेक्ट होंगे और टोल टैक्स कट जाएगा।
जर्मनी व रूस में सर्विस उपलब्ध (Satellite Based Toll System)
जैसे ही कोई कार इन वर्चुअल टोल से गुजरेगी, तो यूजर के अकाउंट से पैसे कट जाएंगे। भारत के पास अपने नेविगेशन सिस्टम- GAGAN और NavIC हैं। इनकी मदद से वीइकल्स को ट्रैक करना ज्यादा आसान हो जाएगा। हालांकि, इसके बाद भी कुछ चुनौतियां रहेंगी। जर्मनी, रूस और कई दूसरे देशों में ये सर्विस पहले से उपलब्ध है।
क्या होगा फायदा व क्या नुकसान (Satellite Based Toll System)
सबसे पहले बात फायदे की करते हैं तो इस सिस्टम के आने से आपका सफर आसान हो जाएगा। यानी आपको टोल के लिए रुकना नहीं पड़ेगा। भले ही FASTag ने टोल पर लगने वाले वक्त को कम किया है, लेकिन इसमें अभी भी वक्त लगता है। साथ ही इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट भी कम होगी। यूजर्स का एक्सपीरियंस बेहतर होगा।
अब प्राइवेसी एक बड़ा मुद्दा होगा (Satellite Based Toll System)
वहीं रिस्क या चुनौतियों की बात करें तो इस सिस्टम के आने के बाद प्राइवेसी एक बड़ा मुद्दा होगा। कई यूजर्स इसका मुद्दा उठा सकते हैं। चूंकि ये सैटेलाइड बेस्ड सर्विस होगी तो कुछ इलाकों में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लोगों को इसके बारे में जागरूक करना भी एक बड़ा मुद्दा होगा।