Khabarwala 24 News New Delhi : SC UP Madrasa Act उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें अदालत ने मदरसा एक्ट को संविधान के खिलाफ बताया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी मदरसे क्लास 12 तक के सर्टिफिकेट दे सकेंगे लेकिन उसके आगे की तालीम का सर्टिफिकेट देने की मान्यता मदरसों के पास नहीं होगी। इसका मतलब ये हुआ कि यूपी मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसे छात्रों को कामिल और फ़ाज़िल की डिग्री नही दे सकेंगे क्योंकि ये यूजीसी अधिनियम के खिलाफ होगा। इस फैसले का मतलब है कि उत्तर प्रदेश में मदरसे चलते रहेंगे और राज्य सरकार शिक्षा मानकों को रेगुलेट करेगी।
क्या है कामिल और फ़ाज़िल डिग्री (SC UP Madrasa Act)
मदरसा बोर्ड ‘कामिल’ नाम से अंडर ग्रेजुएशन और ‘फ़ाज़िल’ नाम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री देता रहा है। इसके तहत डिप्लोमा भी किया जाता है, जिसे ‘कारी’ कहा जाता है। बोर्ड हर साल मुंशी और मौलवी (10वीं क्लास) और आलिम (12वीं क्लास) के एग्जाम भी करवाता रहा है। बोर्ड उन मदरसों को मान्यता प्रदान करता है, जो शैक्षणिक और प्रशासनिक मानकों को पूरा करते हैं। यह मदरसा शिक्षकों के ट्रेनिंग, भर्ती और मूल्यांकन की देखरेख भी करता है।
16 हजार मदरसों को मिली राहत (SC UP Madrasa Act)
मदरसा एक्ट पर यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया है। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला ठीक नहीं था। इसके साथ सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मदरसा एक्ट को भी सही बताया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों को राहत मिल गई है यानी उत्तर प्रदेश के अंदर मदरसे चलते रहेंगे। सूबे में मदरसों की कुल तादाद करीब 23,500 है। इनमें 16,513 मदरसे रजिस्टर्ड हैं।
8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त (SC UP Madrasa Act)
इसके अलावा करीब 8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं। मान्यता प्राप्त मदरसों में 560 ऐसे हैं, जो एडेड हैं यानी 560 मदरसों का संचालन सरकारी पैसों से होता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अक्टूबर को सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि फाजिल और कामिल के तहत डिग्री देना राज्य के दायरे में नहीं है। यह यूजीसी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
हाईकोर्ट ने रद्द किया था कानून (SC UP Madrasa Act)
मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ अंशुमान सिंह राठौड़ नाम के शख्स ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इसी पर हाईकोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था, यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 असंवैधानिक है और इससे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।
धर्मनिरपेक्षता सिद्धांत का उल्लंघन (SC UP Madrasa Act)
इसके साथ ही राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था, मदरसा कानून 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है। अदालत ने ये भी कहा था कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने या किसी विशेष धर्म के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है।
मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम (SC UP Madrasa Act)
उत्तर प्रदेश में साल 2004 में ये कानून बनाया गया था। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को उत्तर प्रदेश में अधिनियमित किया गया था। इस अधिनियम ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की, जो राज्य में जिम्मेदार एक वैधानिक निकाय है। इसके तहत मदरसा बोर्ड का गठन किया गया था। इसका मकसद मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था। इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, फिलोसॉफी जैसी शिक्षा को परिभाषित किया है।
संरचित और सुसंगत पाठ्यक्रम (SC UP Madrasa Act)
अधिनियम का पहला मकसद मदरसों में एक संरचित और सुसंगत पाठ्यक्रम सुनिश्चित करना है, जिससे शैक्षिक गुणवत्ता और मानकों को बढ़ावा मिले। इसका उद्देश्य धार्मिक शिक्षा को सामान्य विषयों के साथ इंटीग्रेट करना है, जिससे छात्रों को इस्लामी और समकालीन ज्ञान दोनों से लैस किया जा सके। बोर्ड में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य होते हैं, जिनमें इस्लामिक स्टडी के एक्सपर्ट और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
बोर्ड कार्य और जिम्मेदारियां (SC UP Madrasa Act)
बोर्ड एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए जिम्मेदार है, जो धार्मिक अध्ययनों को विज्ञान, गणित और भाषाओं जैसे सामान्य विषयों के साथ संतुलित करता है। मदरसा एक्ट में रजिस्टर्ड मदरसों को बुनियादी ढांचे, संसाधनों और शिक्षकों के वेतन में सुधार के लिए स्टेट फंडिंग और अनुदान का प्रावधान किया है। इसके अलावा, बोर्ड को मदरसों का आधुनिकीकरण करने, छात्रों की रोजगार संभावनाओं को बढ़ाने के लिए व्यावसायिक और कौशल-आधारित ट्रेंनिंग शुरू करने का काम सौंपा गया है। बता दें कि यूपी में 25 हजार मदरसे हैं, जिनमें से 16 हजार को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा से मान्यता मिली हुई है।