Khabarwala 24 News New Delhi : Shakuni Mama शकुनि का चरित्र बहुआयामी है। वह न केवल अपने परिवार के प्रति निष्ठावान था, बल्कि धर्म और न्याय की स्थापना के लिए कौरवों के पतन को भी आवश्यक मानता था। उसकी योजनाएं और छल पांडवों के लिए चुनौती बनकर आए, लेकिन अंततः वही चुनौतियां उन्हें धर्म और शक्ति के मार्ग पर अग्रसर कर गईं इसलिए, शकुनि को केवल खलनायक के रूप में देखना शायद उचित नहीं होगा। वह एक ऐसा पात्र था, जिसने अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए अपनी भूमिका निभाई।
दुर्योधन की मां गांधारी के भाई थे (Shakuni Mama)
महाभारत का एक प्रमुख पात्र, शकुनि मामा, आमतौर पर कौरवों के कुटिल रणनीतिकार और पांडवों के शत्रु के रूप में जाना जाता है लेकिन कई कथाओं और व्याख्याओं में ऐसा कहा जाता है कि शकुनि का असली उद्देश्य कौरवों को खत्म करना था। शकुनि गांधार के राजा और दुर्योधन की मां गांधारी के भाई थे।
शकुनि का व्यक्तित्व और उद्देश्य (Shakuni Mama)
वह बुद्धिमान, कुशल राजनीतिज्ञ और चालाकी के लिए प्रसिद्ध थे। जब गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र से हुआ तो शकुनि को अपनी बहन के साथ हुए अन्याय का आघात लगा। धृतराष्ट्र अंधे थे, लेकिन उन्हें गांधारी के विवाह के योग्य बताया गया। इस अपमान और गांधार राज्य के प्रति किए गए व्यवहार ने शकुनि के मन में कौरवों के प्रति घृणा पैदा की।
कौरवों को कमजोर करने की योजना (Shakuni Mama)
शकुनि ने पांडवों को उनके अधिकार दिलाने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से कौरवों को कमजोर करने की योजना बनाई। उन्होंने दुर्योधन और धृतराष्ट्र की कमजोरियों का लाभ उठाया और पांडवों को ऐसी परिस्थितियों में डालने का प्रयास किया जहां वे अपनी शक्ति और नैतिकता को सिद्ध कर सकें।
चतुर रणनीतियां व अंतर्निहित उद्देश्य (Shakuni Mama)
शकुनि ने जुए में दुर्योधन का समर्थन किया, जिससे पांडवों को वनवास और कष्ट झेलने पड़े। हालांकि, यह कष्ट पांडवों को और सशक्त और संगठित बना गया। महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत और अधर्म पर धर्म की विजय, शनि की चालों के बिना संभव नहीं होती। कुछ विद्वानों का मानना है कि शकुनि ने जानबूझकर दुर्योधन आत्मविश्वास दिलाया कि वह अधर्म के मार्ग पर चल पड़ा, वंश का विनाश सुनिश्चित हुआ।