Shardiya Navrayri Khabarwala 24 News New Delhi:मां आदिशक्ति की उपासना का हर दिन विशेष है। मां के नौ रूप 9 वरदान की तरह हैं। शारदीय का नवरात्रि का आज तीसरा दिन है। नवदुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा की उपासना हो रही है। आपको मां चंद्रघंटा की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी देते हैं।
तीसरे नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का तीसरा दिन साहस और आत्मविश्वास पाने का है। इस दिन हर तरह के भय से मुक्ति भी मिल सकती है। माता चन्द्रघण्टा की इस दिन पूजा की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल कमजोर होता है, उनके लिए माता चंद्रघंटा की पूजा विशेष होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष साधना से व्यक्ति निर्भय हो जाता है।
मां चंद्रघंटा की महिमा
मां चंद्रघंटा के माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है। इनकी पूजा करने वाला व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है। इनकी आराधना से स्वभाव में भी विनम्रता आती है।
पूजा विधि
नवरात्रि के तीसरे दिन लाल वस्त्र धारण करके मां चंद्रघंटा की उपासना करना उत्तम होता है। मां को लाल फूल, रक्त चंदन और लाल चुनरी समर्पित करना चाहिए। नवरात्रि के तीसरे दिन मणिपुर चक्र पर “रं” अक्षर का जाप करने से मणिपुर चक्र मजबूत होता है। अगर इस दिन की पूजा से कुछ अद्भुत सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उस पर ध्यान न देकर आगे साधना करते रहना चाहिए।
शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के तीसरे दिन यानी आज सुबह 11.29 बजे से दोपहर 12 बजे तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। इसके बाद सुबह 11.23बजे से दोपहर 1.02 बजे तक अमृत काल रहेगा। इन दोनों ही शुभ मुहूर्तों में आप मां चंद्रघंटा की पूजा कर सकते हैं।
मां का विशेष प्रसाद
मां चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। प्रसाद चढ़ाने के बाद इसे स्वयं भी ग्रहण करें और दूसरों में वितरित करें।
मां के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।