Khabarwala 24 News New Delhi : Shashi Bahuguna Raturi एक तरफ जहां हम प्राकृतिक नमक के स्वाद से दूर होते जा रहे हैं, वहीं उत्तराखंड की कुछ महिलाएं पहाड़ों के ‘पिस्यु लूण’ को देशभर के लोगों तक पहुंचा रही हैं। यह एक कोशिश है उनकी अपने संस्कृति को सहेजकर आने वाले पीढ़ी तक पहुंचाने की और खुद को आत्मनिर्भर बनाने की। पहाड़ों के स्वाद को देशभर तक पहुंचाने के लिए उत्तराखंड की शशि बहुगुणा रतूड़ी ने ‘नमकवाली’ की शुरुआत की थी, जिसके ज़रिए वह ‘पिस्यु लूण’ यानी पहाड़ी नमक को सिलबट्टे पर पीसकर दुनिया भर तक ले गईं और बना दिया इसे एक ब्रांड।
30 से 40 किलो नमक देश में बेच रही (Shashi Bahuguna Raturi)
ब्रांड नमकवाली से आज 10 से 12 महिलाएं जुड़ी हुई हैं और हर महीने करीबन 30 से 40 किलो नमक देशभर में बेच रही हैं। इसके साथ ही वे यहां के पारम्परिक मसाले और दालें भी बेचते हैं। नमक के बाद उन्होंने हल्दी पर काम करना शुरू किया है। शशि को बेहद ख़ुशी हुई कि ये महिलाएं आज भी सदियों पुरानी इस परम्परा को जीवित रखने के लिए इतनी मेहनत कर रही हैं।
सिलबट्टे पर पीसकर तैयार किया जाता (Shashi Bahuguna Raturi)
पहाड़ों की बदलती परंपराओं को देखते हुए, उत्तराखंड की शशि बहुगुणा रतूड़ी ने 2018 में, अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए सदियों पुराने ‘पिस्यु लूण’ नमक को देशभर के सामने पेश करने के लिए ‘नमकवाली’ नाम का एक ब्रांड शुरू किया। हिमालय की जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाए गए इस नमक को सिलबट्टे पर पीसकर तैयार किया जाता है। इस नमक को अलग-अलग स्वादों जैसे अदरक, लहसुन, भांग आदि के साथ तैयार किया जाता है।
कैसे हुई ब्रांड नमकवाली की शुरुआत (Shashi Bahuguna Raturi)
शशि ने बताया कि वह साल 1982 से कई महिला ग्रुप्स से जुड़कर सामाजिक काम कर रही हैं। उनका एक ग्रुप उत्तराखंड की संस्कृति के लिए भी काम करता है। इस ग्रुप की महिलाएं अक्सर हाथ से पीसा हुआ नमक बनाकर लाया करती थीं। इसलिए उन्होंने इन महिलाओं के हुनर को पहचान देने के लिए इंस्टाग्राम के ज़रिए एक शुरुआत करने की सोची। सोशल मीडिया पर उनकी इन कोशिशों को लोगों ने खूब पंसद किया। इस तरह शशि की सोच से नमकवाली नाम के ब्रांड की शुरुआत हो गई।
रोटी के साथ सब्ज़ी की भी ज़रूरत नहीं (Shashi Bahuguna Raturi)
पिस्यु लूण की खासियत यह है कि यह स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। इसमें सेंधा नमक के साथ पहाड़ी जड़ी-बूटियाँ और पारंपरिक मसाले इस्तेमाल होते हैं। आप इसे सलाद के साथ, फलों के साथ, सब्ज़ियों में और तो और सीधा रोटी के साथ भी खा सकते हैं। कहते हैं कि अगर पिस्यु लूण हो तो पहाड़ियों को रोटी के साथ सब्ज़ी की भी ज़रूरत नहीं होती।
नमक के बाद दूसरी चीज़ों पर भी काम (Shashi Bahuguna Raturi)
नमक के बाद अब शशि और उनकी टीम दूसरी चीज़ों पर भी काम कर रही है। पहाड़ों में उगी प्राकृतिक हल्दी को पारंपरिक तरीकों से पीसकर वह ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं। इसी तरह, कुछ समय पहले उन्होंने जंगली शहद भी इकट्ठा करना शुरू किया है। नमकवाली पहल के ज़रिए महिलाओं को धीरे-धीरे और भी चीज़ों से जोड़ा जा रहा है, ताकि ग्रामीण स्वरोज़गार को बढ़ावा मिल सके।