Thursday, December 12, 2024

विधानसभा (Vidhaansabha) में विशेष हनन मामले में छह पुलिसकर्मी दोषी

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Khabarwala24news Lucknow: उत्तर प्रदेश की (Vidhaansabha) विधानसभा में शुक्रवार को एेतिहासिक नजारा देखने को मिला। सदन को कोर्ट में तब्दील किया गया। भाजपा विधायक सलिल विश्वनोई के विशेषाधिकार हनन मामले में आरोपी छह पुलिसकर्मियों को कटघरे में खड़ा कर सदन के सामने पेश किया गया। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने आरोपियों को कारावास का प्रस्ताव सदन के सामने रखा, जिस पर स्पीकर ने वोटिंग कराई। विधानसभा में मौजूद सदस्यों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पारित करा दिया। मंत्री के प्रस्ताव से स्पीकर ने सहमति जताई और आरोपियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई सभी आरोपियों ने सदन के सामने माफी भी मांगी। विधानसभा स्पीकर ने कहा कमेटी ने इनके निलंबन की कार्रवाई के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों के आचरण आदि को देखते हुए उन्हें एक दिन के कारावास की सजा दी जा रही है। सभी आरोपी पुलिसकर्मी आज भर के लिए सदन में बनी एक स्पेशल सेल में बंदी बनाए जाएंगे। लाॅकअप में रहने के दौरान उनका कोई उत्पीड़न नहीं होगा। उन्हें वहां भोजन पानी आदि की सुविधा दी जाएगी।

सदन में एेसे चली कार्यवाही

15 सितंबर 2004 को बिजली की समस्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे उस समय के विधायक सलिल विश्नोई पर लाठीचार्ज और उनकी टांग में चार जगह फेक्चर करने के आरोप की पुष्टि होने के बाद सदन की अवमानना का दोषी पाया गया। इस मामले की रिपोर्ट (Vidhaansabha) विधानसभा अध्यक्ष सतीश माहाना ने गत बृहस्पतिवार को संज्ञान में लिया। प्रदेश के डीजीपी को शुक्रवार को गिरफ्तार करके सदन में पेश करने के आदेश डीजीपी को दिए गए। इस आदेश पर सेवानिवृत्त हुए सीओ अब्दुल समद, निरीक्षक ऋषिकांत शुक्ला समेत सभी छह आरोपी पुलिसकर्मियों को दोपहर सदन में पेश किया गया।

संसदीय कार्यमंत्री ने विधानसभा में रखा प्रस्ताव

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने इस अधिकारियों को कारावास का दंड देने के लिए (Vidhaansabha) विधान सभा को अदालत में तब्दील करने का प्रस्ताव पेश किया। खन्ना ने आरोपी पुलिस कर्मियों को दंड देने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को विधानसभा में पास कर दिया गया। बता दें कि इससे पहले नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सत्ता पक्ष द्वारा समाजवाद की आलोचना किए जाने के मुद्दे पर सदन से वाकआउट कर दिया था। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इन अधिकारियों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाए। सबसे पहले दोषी कराए दिए गए तत्कालीन सीओ अब्दुल समद ने अपनी बात रखी और माफ करने की अपील की। इसके बाद सभी छह पुलिकर्मियों ने भी माफ करने की अपील विधानसभा से की। सुरेश खन्ना ने कहा कि अधिकारियों को यह अधिकार नहीं है कि वह जनप्रतिनिधियों का अपमान करें। बिना वजह उन पर लाठीचार्ज करें।

विधानसभा अध्यक्ष ने क्या सुनाया फैसला

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा का प्रस्ताव रखा। विधानसभा (Vidhaansabha) अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि इस निर्णय का दूरगामी असर पड़ेगा। लोकतंत्र में किसी को एक दूसरे के अधिकारी की सीमा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, मर्यादा बनी रहनी चाहिए। चाहे वह कार्यपालिका हो या विधायिका। उन्होंने कहा कि विधानसभा की यह कार्रवाई किसी को डराने के लिए नहीं है। विधानसभा के इस निर्णय में नैसर्गिक नियमों का पालन हुआ है। सबको सफाई देने का मौका दिया गया है। इस मामले में अंत में फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी दोषी पुलिसकर्मियोंं को आज रात कर एक दिन विधानसकभा भवन में ही बने एक सेल में रखा जाएगा।

इंसाफ की खातिर 19 साल करना पड़ा सलिल विश्नोई को इंतजार

क्या था मामला

शहर की बदहाल बिजली व्यवस्था के बीच आपूर्ति बहाल करने के मांग को लेकर सलिल विश्नोई सड़क पर उतरे थे। आरोप है कि पुलिस ने न केवल उन्हें बुरी तरह पीटा, बल्कि बाद में दोषियों पर कार्रवाई तक नहीं हुई। पिटाई में उनके पैर में चार फ्रैक्टर हुए थे। महीनों बिस्तर पर रहे थे। मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन कुछ नही हुआ। सदन से ही उन्हें इंसाफ की उम्मीद थी। हर साल 15 सितंबर को सलिल संघर्ष दिवस मनाते हैं।

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