Khabarwala 24 News New Delhi : Social Activity जीवन के कुछ अनुभव आपको जीवन भर की सीख दे देते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ करीमपुर, पश्चिम बंगाल के अर्पण बनर्जी के साथ भी। भागदौड़ से भरी जिंदगी में जहां लोग अपनों के लिए भी वक्त मुश्किल से निकाल पाते हैं। वहां पश्चिम बंगाल के अर्पण बनर्जी ने अपनी पूरी जिंदगी दूसरों के नाम कर दी है, अर्पण पिछले 22 सालों से पश्चिम बंगाल के छह से सात अनाथालय और पांच से अधिक वृद्धाश्रम में जरूरतमंदों से मिलकर उनका ख्याल रखते हैं। वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बेसहारा लोगों की जिंदगी को बेहतर करने में और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में लगा रहे हैं।
खास है काम शुरू करने के पीछे की कहानी (Social Activity)
हर विशेष अवसर में इन लोगों के लिए तोहफे, कपड़ें और सबसे जरूरी अपना समय देते हैं। खास बात यह है कि अर्पण ने इस काम की शुरुआत अपने खुद के खर्च पर ही की थी और आज भी अपनी कमाई का आधे से अधिक हिस्सा लगाकर वह यह काम नियमित रूप से कर रहे हैं। लेकिन इससे भी खास है इस काम को शुरू करने के पीछे की कहानी।
तब शायद उनका कोई अपना था ही नहीं… (Social Activity)
दरअसल, अर्पण बचपन से काफी नटखट बच्चे थे। इसी वजह से उन्हें सातवीं-आठवीं की पढ़ाई के दौरान उनके परिवार ने एक आश्रम में भर्ती करा दिया था। जब अर्पण आश्रम में रह रहे थे तब वह महीने मे सिर्फ एक बार अपनी माँ से मिल पाते थे। लेकिन आश्रम में कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिनसे मिलने कोई नहीं आता था क्योंकि कोई अपना था ही नहीं….
बेसहारों को अर्पण ने बनाया अपना परिवार (Social Activity)
तब उस छोटी सी उम्र में अर्पण ने सोच लिया कि जिनका कोई नहीं वह उनका परिवार बनेंगे। और आज तक वह अपने आप से किए उस वादे को निभा रहे हैं। शुरुआत में जब कोई कमाई नहीं थी तब वह जरूरतमंदों को ब्लड डोनेट किया करते थे। समय के साथ उन्होंने एक प्रॉपर्टी एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया और फिर अपनी कमाई से अपने शहर के अलावा आस-पास के अनाथालय और वृद्धाश्रमों में जाकर सेवा और मदद का काम करने लगें।
बेसहाराओं के लिए स्थायी आसरा की आस (Social Activity)
उनके इस नेक काम में आज उन्हें उनके कई दोस्त भी मदद करते हैं। इतना ही नहीं करीमपुर के सडकों पर रहने वाले बेसहारा लोगों की जरूरत का भी अर्पण पूरा ख्याल रखते हैं। जल्द ही अर्पण सड़क पर रहनेवाले बेसहारा लोगों के लिए एक स्थायी आसरा बनाना चाहते हैं। जिसमें उन्हें आपकी मदद की जरूरत है। तो क्यों न इस नि:स्वार्थ पहल में उनकी मदद करके, हम भी बनें इन जरूरतमंदों का सहारा।